लुधियाना, 21 अगस्त (निस)
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) की हाल ही में जारी की गई पंजाब फ्लडस 2023 पर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ अजीबोगरीब वर्षा पैटर्न के कारण आई थी। पंजाब में 2023 की अभूतपूर्व बाढ़ के कारण जनजीवन, पशुधन और कृषि उपज को भारी नुकसान हुआ था। इसका आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा, क्योंकि पंजाब में कामकाजी आबादी का एक चौथाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है। खराब जलवायु से समुदाय को भविष्य में और अधिक नुकसान होने का अंदेशा है, क्योंकि यह अनुमान है कि 2050 तक पंजाब में मक्का की पैदावार 13%, कपास की पैदावार 11% और चावल की पैदावार लगभग 1 फीसदी कम हो जाएगी।
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है, जो तापमान और वर्षा पैटर्न जैसे जलवायु कारकों में बदलाव के कारण है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, 2014-2023 के दशक का औसत तापमान वैश्विक स्तर पर पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) औसत से 1.20 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। इसका असर स्थानीय स्तर पर भी देखा जा सकता है, क्योंकि उत्तरी राज्य पंजाब में वर्ष 2000 से ही बारिश में गिरावट देखी जा रही है, साथ ही मार्च 2023 से दो बवंडर और एक बड़ी बाढ़ देखी गई है। पंजाब में 2023 की बाढ़ के कारणों और प्रभावों को समझने के लिए हाल ही में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना की डॉ. प्रभज्योत कौर, डॉ. संदीप संधू और डॉ. सिमरजीत कौर द्वारा एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन से मिली सीख को ‘क्लीन एयर पंजाब’ की परिणीता सिंह ने स्पष्ट किया है। पंजाब में बाढ़ उसी वर्ष जुलाई में पंजाब और हिमाचल प्रदेश में अजीबोगरीब वर्षा पैटर्न के परिणामस्वरूप हुई। पंजाब में 2023 के मानसून सीजन के दौरान सामान्य से लगभग 5 प्रतिशत कम बारिश हुई, लेकिन जुलाई में सामान्य से 43% अधिक बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही पैटर्न देखने को मिला, जहां जुलाई में सामान्य से 75 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। हालांकि, हिमाचल प्रदेश में बारिश 7 जुलाई से 11 जुलाई के बीच अधिकतम रही जो इन चार दिनों के भीतर सामान्य से 436 प्रतिशत अधिक थी।