फगवाड़ा, 21 अगस्त (एजेंसी)
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा आहूत एक दिवसीय भारत बंद का बुधवार को पंजाब में कोई खास असर नहीं दिखाई दिया, हालांकि कुछ स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा गया था वहीं, सार्वजनिक परिवहन सेवाएं सामान्य रूप से संचालित रहीं साथ ही दुकानें भी खुली रहीं। पुलिस ने बताया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पंजाब के फगवाड़ा में बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान सामान्य रूप से खुले रहे।
हालांकि, कुछ शैक्षणिक संस्थानों को एहतियात के तौर पर बंद रखा गया। अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए काम करने वाले कुछ संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गुरु हरगोबिंद नगर में आंबेडकर पार्क से फगवाड़ा में राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के एक ‘ओवरब्रिज’ के ‘अंडरपास’ तक विरोध मार्च निकाला और वहां धरना दिया। जालंधर में भी विरोध मार्च निकाला गया। लुधियाना में दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान तथा स्कूल सामान्य रूप से खुले रहे। होशियारपुर जिले में स्थिति काफी हद तक सामान्य रही और सभी शैक्षणिक संस्थान तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे। बहुजन समाज पार्टी तथा कुछ दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय बस अड्डे के पास विरोध प्रदर्शन किया। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 21 संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था। इन संगठनों ने इस फैसले का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा।
बहुजन समाज पार्टी ने तहसीलदार को दिया मांग-पत्र
राजपुरा (निस) : सुप्रीम कोर्ट की ओर से आये फैसले के विरोध में आज बहुजन समाज पार्टी की ओर से भारत बंद के मौके पर तहसीलदार राजपुरा के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम एक मांग-पत्र सौंपा। बसपा के प्रदेश महासचिव बलदेव सिंह मेहरा ने बताया कि बसपा सुप्रीमो बहन मायावती के आह्वान पर घनौर व राजपुरा इलाके के कार्यकर्ता मांग-पत्र देने के लिये एकत्र हुए। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी पार्टियों ने एक नारा दिया था कि संविधान खतरे में है, उसे बचाना है। अब जब सरकार बन चुकी है और विपक्ष के नेता राहुल गांधी बन गये हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जो एक अगस्त को फैसला आया है, उस पर कुछ नहीं बोल रहे। जबकि वे हर बात पर यह कहते थे कि संविधान खतरे में है। एकमात्र बसपा ही दलितों के हक में आवाज उठा रही है। मांग-पत्र में यह मांग है कि सुप्रीम कोर्ट का एक अगस्त का फैसला राष्ट्रपति रद्द करें। इस मौके पर जसपाल सिंह एडवोकेट, गुरदास सिंह घडाम, सुखवंत सिंह, तरसेम सिंह, सुखविंदर सिंह तेपला, राजिंदर सिंह चपड़, एडवोकेट बलविंदर सिंह, मनप्रीत सिंह, तेजा सिंह बख्शी वाला, जसविंदर सिंह सहित अन्य बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे।