ढाका, 23 अगस्त (भाषा)
Sheikh Hasina: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ-साथ पूर्व मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है। अंतरिम सरकार ने यह कदम विद्यार्थियों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा इस्तीफा देने और भारत चले जाने के लगभग दो सप्ताह बाद उठाया है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय के सुरक्षा सेवा प्रभाग ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री के सलाहकारों, पूर्व मंत्रिमंडल के सदस्यों और हाल में भंग की गई संसद के सभी सदस्यों को मिले राजनयिक पासपोर्ट तत्काल रद्द कर दिए जाएंगे।
राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अगस्त में 76 वर्षीय हसीना के देश छोड़कर चले जाने के बाद 12वीं संसद को भंग कर दिया था। वर्तमान में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि अधिकारियों के राजनयिक पासपोर्ट भी उनके कार्यकाल या नियुक्ति समाप्त होने पर तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिये जायेंगे। छात्रों के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के कारण पांच अगस्त को इस्तीफा देने के बाद हसीना भारत आ गई थीं।
हसीना को भारत में 18 दिन हुए
ढाका से प्रकाशित अखबार ‘डेली स्टार’ की खबर के मुताबिक भारतीय वीजा नीति के अनुसार राजनयिक या आधिकारिक पासपोर्ट रखने वाले बांग्लादेशी नागरिक वीजा-मुक्त प्रवेश करने और 45 दिन तक रहने के पात्र हैं। बृहस्पतिवार को हसीना के भारत में रहते 18 दिन हो गए हैं। सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि हसीना के पास उनके नाम से जारी राजनयिक पासपोर्ट के अलावा कोई अन्य पासपोर्ट नहीं है।
प्रत्यर्पित किये जाने की आशंका बढ़ सकती
हसीना के राजनयिक पासपोर्ट और उससे संबंधित वीजा विशेषाधिकारों को रद्द करने से उन्हें प्रत्यर्पित किये जाने की आशंका बढ़ सकती है। बीएसएस की खबर के मुताबिक हसीना का प्रत्यर्पण बांग्लादेश और भारत के बीच हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि के कानूनी ढांचे के अंतर्गत आता है।
बांग्लादेशी नाराज नहीं, आहत हैं : हसीना के भारत प्रवास पर शीर्ष बीएनपी नेता ने कहा
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक शीर्ष नेता ने यहां कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में रहने से देश के लोग ‘नाराज नहीं बल्कि आहत’ हैं। बांग्लादेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल मोईन खान ने नयी दिल्ली में राजनेताओं और सुरक्षा रणनीतिकारों से यहां की जमीनी हकीकत को देखते हुए उनकी नीति पर ‘पुनर्विचार’ करने का आग्रह किया।
ढाका स्थित अपने आवास पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में खान ने कहा कि उनका देश भारत के साथ तीन तरफ से सीमा साझा करता है और यह एक बड़ा पड़ोसी है, इसलिए ‘कोई कारण नहीं है कि भारत हमारा सबसे अच्छा मित्र न हो’।