दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 अगस्त
भाजपा की टिकट पर हालिया लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पांच उम्मीदवार अब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें से सोनीपत से चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली वर्तमान में भी राई से विधायक हैं। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस में पांच ऐसे पूर्व सांसद हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इनमें से एक ने चार और एक ने तीन सीटों पर दावा ठोका है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन सभी पांचों उम्मीदवारों को टिकट मिलने की पूरी संभावना है और इनके नाम भी पैनल में शामिल हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा ने छह सीटों पर नये चेहरों को चुनाव लड़वाया था। वहीं चार मौजूदा सांसदों को ही टिकट दिया था। मौजूदा सांसदों में से गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह, फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर व भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह भाजपा टिकट पर जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। वहीं रोहतक से डॉ. अरविंद शर्मा इस बार कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के हाथों बड़े अंतर से चुनाव हारे।
छह नये चेहरों में से करनाल में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल ने जीत हासिल की। बाकी चारों चेहरे चुनाव हारे। इनमें अंबाला से बंतो कटारिया, सोनीपत से मोहनलाल बड़ौली, हिसार से चौ. रणजीत सिंह व सिरसा से डॉ. अशोक तंवर शामिल हैं। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अशोक तंवर अब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी कोशिश रतिया से चुनाव लड़ने की है। वे मूल रूप से झज्जर जिला के रहने वाले हैं। ऐसे में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित झज्जर सीट पर भी उनका नाम चर्चाओं में है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को भाजपा फिर से राई से चुनाव लड़वा सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व अंबाला से सांसद रहे स्व. रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया मुलाना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। हिसार से लोकसभा चुनाव हारने वाले प्रदेश के बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह रानियां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वे 2019 में भी कांग्रेस से टिकट कटने के बाद इसी हलके से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि भाजपा इस पर उन पर भरोसा जता सकती है।
सिरसा से 2019 में भाजपा टिकट पर सांसद बनी सुनीता दुग्गल की इस बार टिकट कट गई। माना जा रहा है कि उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। सुनीता दुग्गल को रतिया से चुनाव लड़वाए जाने की चर्चाएं हैं। भाजपा गलियारों में उनका नाम झज्जर और कलानौर से भी चर्चाओं में बना हुआ है। वहीं अरविंद शर्मा बहादुरगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका नाम बेरी, गोहाना व असंध हलके से भी चर्चाओं में बना हुआ है। भाजपा की स्टेट इलेक्शन कमेटी की मैराथन बैठकें चल रही हैं। इन बैठकों में ही संभावित प्रत्याशियों के नाम के पैनल तैयार होंगे।
कैलाशो का चार सीटों पर क्लेम
कुरुक्षेत्र से इनेलो टिकट पर दो बार सांसद रहीं कैलाशो सैनी वर्तमान में कांग्रेस में सक्रिय हैं। वे पहले भी पार्टियां बदल चुकी हैं। कैलाशो सैनी ने इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए चार हलकों से आवेदन किया है। उन्होंने नारायणगढ़, रादौर, इंद्री और पिहोवा से टिकट की डिमांड की है। नारायणगढ़ से भाजपा की शैली चौधरी और रादौर से बिशनलाल सैनी मौजूदा विधायक हैं। पिहोवा व इंद्री सीट पर 2019 में भाजपा ने जीत हासिल की थी।
भड़ाना का तीन सीटों पर दावा
फरीदाबाद के पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना घर वापसी करने के बाद अब विधानसभा पहुंचने के सपने संजो रहे हैं। 2014 में कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। यूपी से विधायक भी बने। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले फिर कांग्रेस में आ गए और टिकट लेकर फरीदाबाद से चुनाव भी लड़ा। हारने के बाद फिर कांग्रेस छोड़ दी। इस बार के लोकसभा चुनावों में फिर घर वापसी कर ली। अब वे एनआईअी, पुन्हाना और नांगल-चौधरी से टिकट मांग रहे हैं। एनआईटी में कांग्रेस के नीरज शर्मा और पुन्हाना से मोहम्मद इलियास सिटिंग विधायक हैं। वहीं नांगल-चौधरी में लगातार दो बार से भाजपा के अभय सिंह यादव विधायक हैं।
बृजेंद्र का उचाना से लड़ना तय
हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का उचाना कलां से विधानसभा चुनाव लड़ना लगभग तय है। बृजेंद्र सिंह अपने पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की परंपरागत सीट से पहली बार किस्मत अाजमाएंगे। उनकी माता प्रेमलता भी उचाना से भाजपा टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। भाजपा छोड़ने के बाद वे इस बार कांग्रेस टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने जयप्रकाश ‘जेपी’ को टिकट दिया। ऐसे में बृजेंद्र को उचाना से टिकट मिलने का रास्ता अब पूरी तरह से साफ है।
सिरसा से दोनों पूर्व सांसद भी दौड़ में शामिल
सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे डॉ. सुशील कुमार इंदौरा और चरणजीत सिंह रोड़ी भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। संयोग से ये दोनों ही इनेलो टिकट पर सांसद बने थे और वर्तमान में कांग्रेस में हैं। सुशील कुमार इंदौरा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे से आते हैं। वहीं चरणजीत सिंह रोड़ी की गिनती कुमारी सैलजा के नजदीकियों में होती है। चरणजीत सिंह रोड़ी रतिया से टिकट मांग रहे हैं। वहीं इंदौरा ने रतिया के साथ-साथ नरवाना सीट पर भी दावा ठोका है।
कांग्रेस से हारने वालों में 3 सक्रिय
हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट पर चुनाव हारने वाले चार नेताओं में से तीन टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ने वाले राव दान सिंह वर्तमान में महेंद्रगढ़ से विधायक हैं। उनका इसी सीट से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। करनाल से चुनाव हारने वाले यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु भी विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। वहीं फरीदाबाद से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह अपने बेटे विजय प्रताप सिंह को बड़खल से विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं। गुरुग्राम से चुनाव हारने वाले पूर्व सांसद व फिल्म अभिनेता राज बब्बर का विधानसभा चुनाव लड़ने का इरादा नहीं है।