यह सुखद ही है कि प्रेम जनमेजय के ऋषिकर्म से फलित व्यंग्य रचनाओं की त्रैमासिकी प्रतिनिधि पत्रिका ‘व्यंग्य यात्रा’ ने दो दशक की यात्रा पूरी करके 21वें साल में प्रवेश किया है। बढ़ती महंगाई व विज्ञापनों संकट के बीच निरंतर पत्रिका प्रकाशन दुष्कर कार्य ही है। रचनाओं का संकलन, संपादन और पाठकों तक डाक से पत्रिका भेजने जैसे सारे काम संपादक को ही करने पड़ते हैं।
समीक्ष्य संयुक्त अंक सभी स्थायी स्तंभों के साथ चालीस से अधिक मौलिक और नौ संपादित व्यंग्य पुस्तकें प्रकाशित करा चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हरीश नवल पर केंद्रित है। वे व्यंग्य के अलावा फिल्म, टीवी के लिए लेखन तथा संपादन से जुड़े रहे हैं। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व से रूबरू कराने की कोशिश हुई है।
सुखद है कि तेजी से डिजिटल होती दुनिया में दूरदृष्टि का परिचय देते हुए प्रेम जनमेजय ने ‘व्यंग्य यात्रा’ का- ‘यू-ट्यूब मासिकी’ के रूप में जो प्रयोग शुरू किया, उसे एक साल होने को है। उसे व्यंग्य प्रेमियों का सकारात्मक प्रतिसाद मिला है।
पत्रिका : व्यंग्य यात्रा संपादक : प्रेम जनमेजय प्रकाशक : साक्षर अपार्टमेंट्स, पश्चिम विहार, दिल्ली पृष्ठ : 128 मूल्य : रु. 100 (वार्षिक)