ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 24 अगस्त
आर्थिक तंगी के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल की कांग्रेस सरकार कर्मचारी संगठनों को साधने में जुट गई है। विधानसभा के मानसून सत्र से पहले डीए व एरियर के भुगतान को लेकर सचिवालय कर्मचारी महासंघ के तेवरों के बाद सरकार ने अन्य कर्मचारी संगठनों को साधने के प्रयास शुरू किए हैं। सरकार की तरफ से स्वयं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इसमें जुट गए हैं।
हिमाचल सरकार कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर डीए देती है। साथ ही वेतन मान संशोधित होने के बाद इसका एरियर भी कर्मचारियों को नहीं मिला है। डीए भी 12 फीसदी देय है। डीए के भुगतान के लिए ही सरकार को करीब 1200 करोड़ चाहिए। एरियर के भुगतान के लिए सरकार को 10 हजार करोड़ की दरकार है। मगर राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए भारी भरकम राशि का भुगतान करने में सरकार के हाथ पांव फूल रहे हैं जबकि दूसरी ओर कर्मचारियों के सब्र का बांध भी टूट रहा है।
विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र से पहले कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन को भाजपा बड़ा मुद्दा बना सकती है। इस बीच डीए और एरियर की मांग कर रहे प्रदेश के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बार फिर आश्वासनों का झुनझुना थमा दिया है। मुख्यमंत्री से आज शिमला में विभिन्न अराजपत्रित कर्मचारी और शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने भेंट की और अपनी मांगों से अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि प्रदेश के सभी अधिकारी और कर्मचारी उनके परिवार के सदस्य हैं और उनकी सभी जायज मांगों पर सहानूभतिपूर्वक विचार किया जाएगा। कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और एरियर जारी करने की मांग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह एक माह के भीतर राज्य की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करेंगे। उन्होंने सितंबर 2024 के अंत में कर्मचारी संगठनों के साथ फिर से बैठक करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के पास एनपीएस के 9,200 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार द्वारा आपदा राहत के 10,000 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं लेकिन यह राशि भी अब तक जारी नहीं की गई है। राज्य सरकार को पूर्व भाजपा सरकार से कर्मचारियों की 10,000 करोड़ रुपए की देनदारियां विरासत में मिली हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार पर कई तरह की बंदिशें लगा दी हैं। उन्होंने कहा कि ऋण सीमा 6,600 करोड़ रुपए निर्धारित कर दी गई है। वहीं, अगले वित्त वर्ष के लिए 3500 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा अनुदान प्राप्त होगा, जबकि यह राशि पिछली भाजपा सरकार को प्राप्त राशि से 7,000 करोड़ रुपये कम है। कर्मचारी संगठनों ने जल्द संयुक्त परामर्श समिति की बैठक करवाने का भी आग्रह किया।