शिमला, 27 अगस्त (ट्रिन्यू/हप्र)
हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी अब 21 वर्ष से पहले नहीं हो सकेगी। इस राज्य में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र अभी तक 18 साथ थी। इसे 18 साल से बढ़ाने संबंधी बाल विवाह निषेध (हिमाचल प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2024 विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को पेश किया गया। यह विधेयक बिना चर्चा के साथ ही पारित भी हो गया। अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बनेगा।
असल में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में संशोधन किया गया है। पुराने अधिनियम में संशोधन कर 2024 में नया संशोधित विधेयक विधानसभा ने पारित किया है। हिमाचल प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनी राम शांडिल ने विधानसभा में इस विधेयक को पेश किया। उन्होंने कहा कि इससे लड़कियों को तरक्की करने के लिए अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही इस विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
संशोधित अधिनियम हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों पर लागू होगा, भले ही भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम- 1872, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम- 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम- 1937, विशेष विवाह अधिनियम- 1954, हिंदू विवाह अधिनियम- 1954 या विवाह के संबंध में किसी अन्य कानून या प्रथा या प्रथा या प्रथा में इसके विपरीत या असंगत कुछ भी क्यों न हो।
यह दिया गया तर्क
विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक के उद्देश्यों में लिखा गया, ‘आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। ऐसे में कम उम्र में शादी न केवल उनके करिअर की प्रगति में बाधा बनती है, बल्कि उनके शारीरिक विकास में भी बाधा बनती है।’ इसमें कहा गया है, ‘लैंगिक समानता और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करने के लिए लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाना आवश्यक हो गया है।’
देशभर के लिए ऐसे कानून की उठ चुकी है मांग
देशभर के लिए लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल की जाये, ऐसी मांग कई बार उठ चुकी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी इसकी चर्चा हो चुकी है, लेकिन संबंधित विधेयक सदन पटल तक नहीं आ सका। हालांकि एक समिति इस पर विचार भी कर रही है। यहां एक बात और गौर करने योग्य है कि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों की उम्र 21 करने संबंधी कानून बनाने का आदेश देने के लिए इनकार कर दिया। संबंधित याचिका की सुनवाई करने से ही इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा था कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेटियों की शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र में इजाफा किए जाने की जरूरत बता चुके हैं।