जोगिंदर सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 27 अगस्त
पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पैनल और उम्मीदवारों की घोषणा के वक्त सभी छात्र संगठन जेएम लिंग्ादोह कमेटी की सिफारिशों का सरेआम उल्लंघन करते दिखायी दिये। सबसे पहले पुसू पार्टी के वर्कर और नेता प्रिंटेड स्टीकर लगाकर स्टूडेंट्स सेंटर पर एकत्र हुए और बाद में अपने कैंडीडेट की घोषणा करते हुए प्रिटेंड पोस्टर-बैनर लहराते दिखे।
इसके बाद वहीं पर फैले हुए खड़े सत्थ के वर्कर भी प्रिटेंड स्टीकर, पोस्टर और बैनर लेकर सेंटर पर अपने प्रत्याशी की घोषणा करते दिखे।
सत्थ के वर्करों ने वहां खड़े साथियों को भी स्टीकर बांटे। एबीवीपी और एनएसयूआई सहित कुछ अन्य संगठनों के छात्र भी प्रिटेंड स्टीकर लगाये घूम रहे थे।
देर सायं पीयू प्रशासन ने इसका नोटिस लिया और छात्र संगठनों के साथ डीएसडब्ल्यू अमित चौहान और एसोसिएट डीएसडब्ल्यू प्रो. नरेश कुमार ने एक मीटिंग की।
बैठक में छात्र नेताओं को चेतावनी दी गयी कि कैंपस में प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार की प्रिंटेड सामग्री का इस्तेमाल न करें वरना कार्रवाई के लिये तैयार रहें। प्रो. अमित चौहान ने कहा कि चीफ सिक्योरिटी अफसर विक्रम सिंह से रिपोर्ट मांग ली गयी है और इसे लेकर एक एडवाइजरी भी जारी कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि नोटिस में आने पर कुछ छात्र संगठनों से इस बारे में एक्सप्लानेशन भी मांगी गयी है।
पुसू केवल संयुक्त सचिव पद पर लड़ेगी चुनाव
पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पुसू) कैंपस का सबसे पुराना यानी 1977 से चला आ रहा छात्र संगठन है। लेकिन समय के साथ इसकी ताकत घट गयी है। इस बार केवल संयुक्त सचिव के ओहदे के लिये ही पार्टी चुनाव लड़ेगी और अमित बंगा को पार्टी ने अपनी ओर से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। अभी किस पार्टी या संगठन से समझौता या तालमेल होगा इस पर पार्टी ने कुछ साफ नहीं किया। गौरवदीप समर (सरपंच) ने कहा कि उनका संगठन किसी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है। वे केवल छात्र हितों को लेकर मैदान में उतरे हैं। अमित बंगा ने नाम घोषित होते ही सिख पंथ के नारे के साथ जय भीम का नारा भी लगाया। इस बीच, डीन स्टूडेंट वेलफेयर (डीएसडब्ल्यू) प्रो. अमित चौहान ने आज पीयू के सभी विभागों के अध्यक्षों व निदेशकों/संयोजकों के साथ बैठक की और उन्हें पांच सितंबर को होने जा रहे चुनाव बारे कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। सभी विभाग प्रमुखों को बताया गया कि कक्षा में कोई छात्र नेता या संगठन प्रचार न करे। छात्रों के आईडी कार्ड नियमित तौर पर चेक किये जायें। साथ ही वोटिंग के दिन बैलेट पेपर, प्रोविजनल रिजल्ट आदि को लेकर जरूरी बातें बतायी गयीं।
सत्थ ने उपप्रधानी पर उतारा अपना प्रत्याशी
पिछले सात साल से कैंपस राजनीति में सक्रिय छात्र संगठन सत्थ ने करणवीर सिंह को उपप्रधान पद के लिये खड़ा किया है। पार्टी प्रवक्ता जुझार सिंह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि सत्थ किसी राजनीतिक दल या परिवार की पार्टी नहीं है बल्कि इस सब के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सार्वजनिक संस्थान खत्म किये जा रहे हैं, उसके लिये छात्रों को सत्थ जैसे संगठन का साथ देना होगा। उन्होंने कहा कि दो-दो यूनिवर्सिटीज के चांसलर (सतनाम संधू और अशोक मित्तल) जिस तरह से राज्यसभा में पहुंच गये हैं, उससे समझा जा सकता है कि कैसे ये संस्थान बचेंगे। उन्होंने कहा कि पीयू पर पूरी तरह से पंजाब का हक बनता है क्योंकि यह पंजाब की ही जमीन पर बनी है। जुझार सिंह ने कहा कि सत्थ पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और जीएनडी यूनिवर्सिटी अमृतसर में सक्रिय है। सत्थ के इकट्ठ में छात्रों ने जमकर धार्मिक नारेबाजी की।
पुसू को झटका, दविंदर सहित कई सदस्य एबीवीपी में
पुसू पार्टी के 50 से अधिक प्रमुख सदस्य, जिनमें पुसू का पिछले साल के कौंसिल अध्यक्ष पद के उम्मीदवार भी शामिल हैं, आधिकारिक तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए। पिछले साल पुसू पार्टी की ओर कौंसिल अध्यक्ष पद के उम्मीदवार दविंदर सिंह, 2022-23 के लिए सचिव पद के उम्मीदवार सक्षम गर्ग और 2022-23 के लिए निर्वाचित कार्यकारी सदस्य चेतन गोयल, वरिष्ठ नेता और पूर्व कैंपस अध्यक्ष (2018-19) जस्टिंदर भंगू, प्रिंस तनेजा, आईएसए के कैंपस अध्यक्ष (2022-23) हितेश बंसल, यूआईएएमएस विभाग से अभिषेक चौधरी (बिल्ला), फार्मेसी से 2023-24 के लिए निर्वाचित डीआर पंकज खजूरिया, केमिकल से तेजेश्वर गिलधयाल, कन्हैया शर्मा सहित 50 से अधिक सदस्य एबीवीपी में शामिल हो गए। परविंदर नेगी ने इस मौके पर कहा कि एबीवीपी विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है, जो छात्रों के विकास और कल्याण के लिए निरंतर कार्यरत है। गौरव अत्री ने कहा कि विद्यार्थी परिषद 365 दिन काम करने वाला संगठन है।
एसएफएस ने जारी किया बयान
एसएफएस की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि उनके बारे में कुछ भ्रांतियां एवं अफवाहें फैलाई जा रही हैं। कुछ निष्कासित और पूर्व सदस्य एसएफएस के नाम का इस्तेमाल कर विभिन्न संगठनों के साथ चुनावी सेटिंग में लगे हुए हैं। एक सदस्य पहले एसएफएस के साथ काम करते
थे। लेकिन वे कुछ अनैतिक कार्यों में संलिप्त पाये गये और इसकी सजा उन्हें मिली। बाद में उन्होंने एक अन्य संगठन के लिए काम किया। इसके लिए उन्हें निष्कासित कर दिया गया। अब ऐसे निष्कासित और कुछ पूर्व सदस्य जो संगठन में शामिल नहीं हैं, वे सेटिंग की घटिया राजनीति में लिप्त हैं और किसी भी तरह से वोट इकट्ठा करने के लिए चुनावी दलाल के रूप में काम कर रहे हैं।