शिमला, 28 अगस्त (हप्र)
डीए और एरियर की मांग को लेकर आंदोलनरत हिमाचल प्रदेश सचिवालय के कर्मचारियों पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने सचिवालय की पांचों यूनियनों के दो अध्यक्षों और महासचिवों को शो कॉज नोटिस जारी कर 15 दिनों में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सरकार ने जिन कर्मचारी नेताओं को नोटिस जारी किया है उनमें प्रदेश सचिवालय के क्लास वन से लेकर क्लास फोर तक की 5 कर्मचारी यूनियनों के 10 कर्मचारी नेता शामिल हैं। इनमें पांचों संघों के प्रधान और महासचिव शामिल हैं और उन्हें कार्मिक विभाग के उप सचिव मंजीत बंसल की ओर से शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के तहत यदि इन नेताओं ने तय समय के भीतर अपना जवाब नहीं दिया तो सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी।
गौरतलब है कि प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के बैनर तले 21 और 23 अगस्त को प्रदेश सचिवालय के प्रांगण में कर्मचारियों ने हल्ला बोला था। उधर, सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि गेट मीटिंग के दौरान कर्मचारी नेताओं ने सरकार के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और सरकार की नीतियों को भी कोसा, जिस कारण कर्मचारी नेताओं को सीसीएस कंडक्ट रूल और सीसीए रूल के तहत कार्रवाई करते हुए शो काॅज नोटिस जारी किया गया है। जारी किए गए नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि वह सरकारी कर्मचारी हैं और अनुशासन बनाए रखना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।
वहीं, दूसरी तरफ अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ ने सरकार को आज तक का अल्टीमेटम दिया था कि वह उन्हें कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाए लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। उलटा कर्मचारी नेताओं को शो काॅज नोटिस जारी कर दिया। वार्ता के लिए न बुलाए जाने से नाराज प्रदेश सचिवालय कर्मचारियों सहित लोकायुक्त, हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग और राज्यपाल सचिवालय के कर्मचारियों ने काले बिल्ले लगा कर अपना विरोध जताया।
सरकार द्वारा शो काॅज नोटिस जारी किए जाने पर हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि अगर अपनी बात उठाना गलत है तो वह इस नोटिस का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि आज से पहले भी कितनी बार जनरल हाउस हुए लेकिन सरकार ने कभी भी मेमो जारी नहीं किया। यह पहली बार हुआ है, जब जनरल हाउस बुलाने पर कर्मचारी नेताओं को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार को 10 सितंबर तक का समय दिया है। विधानसभा के मॉनसून सत्र को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी संघ ने किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन न करने का फैसला लिया है।