जुलाना विधानसभा सीट, कांग्रेस में टिकट की दौड़…
दलेर सिंह/हमारे प्रतिनिधि
जींद (जुलाना), 28 अगस्त
आगामी एक अक्तूबर को होने जा रहे हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकें बुधवार से शुरू हो गई हैं। इस बार उम्मीदवार का चयन करने के लिए लिए कांग्रेस के थिंक टैंक को बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। जुलाना विधानसभा सीट पर पैराशूटर व हाईप्रोफाइल नामों ने कांग्रेस के जमीनी नेताओं की धड़कन बढ़ा रखी है।
जुलाना सीट पर जो हाईप्रोफाइल नाम है, वह नाम भारतीय महिला खिलाड़ी विनेश फोगाट का है। हालांकि विनेश की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वे चुनावी राजनीति में आएंगी या नहीं। लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों कांग्रेस के आला नेताओं से विनेश की मुलाकातें हुई हैं और देश व प्रदेश के सियासी गलियारों में उनका नाम उछला है, उससे जुलाना हलका भी अछूता नहीं है। विनेश फोगाट जुलाना क्षेत्र के खेड़ा बख्ता खेड़ा गांव निवासी पूर्व सैनिक राजपाल राठी के बेटे पहलवान सोमबीर राठी की पत्नी है। राठी परिवार कहीं न कहीं यह चाहता है कि विनेश जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन वे अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे।
बुधवार को मोबाइल पर ‘दैनिक ट्रिब्यून’ से हुई अनौपचारिक बातचीत में विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने बताया कि वे अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। बहरहाल वे इतना ही कह सकते हैं कि विनेश और पार्टी को जैसा उचित लगेगा वही होगा। राजपाल राठी पिछले कई वर्षों से परिवार समेत सोनीपत के खरखौदा में रहते हैं। जुलाना के खेड़ा बख्ता गांव में उनका भरा पूरा परिवार है और वे समय-समय पर गांव में आते-जाते रहते हैं।
जुलाना विधानसभा सीट पर पैराशूटर दावेदार के रूप में समाजवादी पार्टी के नेता डा. संजय लाठर के बेटे का नाम आ रहा है। डा. संजय लाठर जुलाना अथवा यूं कहें कि हरियाणा की राजनीति में अपने पैर नहीं जमा सके। उन्होंने सोनीपत लोकसभा और जुलाना विधानसभा सीट से कई बार सपा की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन मुख्य मुकाबले में भी नहीं रहे। उसके बाद वे यूपी में जाकर सेट हो गये। यूपी में भी समाजवादी पार्टी की टिकट पर दो विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। अब वे अपने विदेश में पढ़े बेटे को अपने पैतृक क्षेत्र जुलाना में राजनीतिक रूप से स्थापित करना चाहते हैं। सपा प्रमुख एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विश्वासपात्रों में शुमार डा. संजय लाठर को यूपी में सपा का एमएलसी बनाया गया और फिर वे यूपी विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष भी बने। चूंकि राष्ट्रीय स्तर पर सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। इसी गठबंधन की दुुहाई देते हुए सपा की ओर से हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से पांच सीटें मांगी जा रही हैं। इनमें जुलाना विधानसभा सीट प्रमुख तौर पर शामिल है। यदि कांग्रेस के केंद्रीय आलाकमान के आदेश पर सपा कोटे से जुलाना सीट पर डा. संजय लाठर के बेटे का नाम आ जाए तो कोई अचरज नहीं होगा, भले ही उन्हें चुनाव चिन्ह हाथ ही क्यों न दे दिया जाए। ऐसे में पैराशूटर और हाईप्रोफाइल दोनों नामों ने जुलाना क्षेत्र में कांग्रेस के जमीनी नेताओं की धड़कन बढ़ा रखी है।
पैरामीटर लागू होने से कई दावेदारों को बड़ा झटका
जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट के लिए पूर्व विधायक परमेंद्र सिंह ढुल, पूर्व विधायक सुरजभान काजल, पूर्व प्रत्याशी प्रो.धमेंद्र सिंह ढुल, रोहित दलाल, जगबीर सिंह ढिगाना, नरेंद्र लाठर, डा. सुभाष लाठर, अनिल दलाल, वीरेंद्र लाठर, रविंद्र सिंह ढुल, होशियार सिंह लाठर, रामपाल करेला, मंजीत लाठर, नवीन सांगवान, सुभाष अहलावत, पूनम भारद्वाज, रविंद्र कौशिक, कुलवंत लाठर, प्रदीप लाठर, नवदीप दलाल समेत 86 नेताओं ने आवेदन किया हुआ है। सभी 86 आवेदक खुद को बड़ा असरदार भी बता रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस बार जिस तरह से ‘जिताऊ और टिकाऊ, दो बार की हार, पिछले चुनाव में जमानत जब्त, क्षेत्रभर में संपूर्ण होमवर्क’ इत्यादि जो पैरामीटर तय किये हुए हैं, उनसे कई दावेदारों को बड़ा झटका लगने जा रहा है। यदि ये पैरामीटर हू-ब-हू लागू हो जाते हैं तो दर्जनों आवेदक स्वयं ही टिकट की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। 86 आवेदकों में से बहुत से आवेदक ऐसे हैं, जिनका खुद का कोई व्यापक जनाधार नहीं है, केवल कांग्रेस की कथित लहर में तैरकर विधानसभा में प्रवेश का सपना पाले हुए हैं।
किंतु-परंतु के प्रति सचेत पार्टी
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस का थिंक टैंक इस बार दो-तीन ऐसे युवा चेहरों पर गहनता से मंथन कर रहा है, जो विपक्ष में रहते पिछले दस वर्ष से पार्टी के लिए दिन-रात एक करते हुए खूब पसीना बहा रहे हैं। इसके साथ ही पिछले चुनावी समीकरणों को देखते हुए सोशल इंजीनिरिंग के फार्मूेले पर भी विचार हो रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, उसी उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, जिस पर किसी प्रकार की कोई बड़ी किंतु-परंतु न हो।