शाहाबाद मारकंडा, 31 अगस्त (निस)
पिछले 392 दिनों से लगातार एक्सग्रेशिया पॉलिसी के तहत नौकरी पाने के लिए मिल परिसर के बाहर धरना दे रहे मृत्तक के आश्रितों को शुगर मिल प्रशासन ने एक पत्र सौंपकर मांग की है कि पत्र की प्राप्ति के बाद तुरंत मिल के मुख्यद्वार से धरना समाप्त करें क्योंकि धरने के कारण सड़क पर आने जाने वाले वाहन चालकों का ध्यान भटकने के कारण कोई भी अप्रिय घटना घटने का भय बना रहता है। मिल प्रशासन ने शाहाबाद न्यायालय में दायर केस के अंतरिम आदेश के अनुसार मिल परिसर के 50 मीटर के दायरे या उसके आसपास बैठकें, प्रदर्शन, हड़ताल व धरना आदि करने पर प्रतिबंध लगाया है। मिल प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर वे परिसर के 50 मीटर के दायरे से धरना समाप्त नहीं करते तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पत्र में कहा गया कि आश्रितों ने जो पत्र मिल प्रशासन से एरियर लेने बारे मांग की है पर जवाब में कहा गया कि विभिन्न न्यायालयों में इससे संबंधित अपने विभिन्न आदेशों में नो वर्क-नो पे को स्पष्ट रूप से दोहराया है। इसलिए इस केस में भी नो वर्क-नो पे का सिद्धांत लागू होता है।
पत्र में कहा गया कि मृत्तक के परिजनों द्वारा वर्ष 2011 से ही सरकारी कर्मचारी पर लागू एक्सग्र्रेशिया नियम के अंतर्गत वित्तीय लाभ मांगे जा रहे थे जो चीनी मिल पर लागू नहीं होती। सरकारी कर्मचारियों की एक्सग्रेशिया नियम 2006 तथा मिल कर्मचारियों पर लगे एक्सग्रेशिया स्कीम 2005 दोनों में काफी अंतर है। वर्ष 2011 से 2018 तक मिल में लागू एक्सग्रेशिया स्कीम के तहत उनके द्वारा कोई भी आवेदन नहीं किया गया था। पत्र में कहा गया कि वर्ष 2018 में मृत्त के परिजनों द्वारा एक्सग्रेशिया स्कीम 2005 के तहत आवेदन किया गया था जिसमें परिजनों ने अनुकंपा के आधार पर ग्रुप डी. में नौकरी लेने बारे प्रार्थना की गई थी। मिल द्वारा 14 मार्च 2020 को उनकी पुत्री किम्मी रानी को बायोलैब बेलदार के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई थी। पत्र में कहा गया कि अनुकंपा आधार पर नियुक्ति न ही कानूनी और न ही मौलिक अधिकार है। असल में यह तो मृत्तक कर्मचारी के परिवार को उस समय की जरूरत के हिसाब से मुआवजा देने का है।