नयी दिल्ली, 31 अगस्त (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि जितनी जल्दी फैसले होंगे, आधी आबादी को उतनी ही अधिक सुरक्षा का आश्वासन मिलेगा।
जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा आज समाज में गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सख्त कानून बनाए गए हैं।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में मोदी ने कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और उच्चतम न्यायालय एवं न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। आपातकाल को काला दौर बताते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने जिला न्यायपालिका को भारतीय न्यायिक प्रणाली की नींव बताते हुए कहा कि आम नागरिक न्याय के लिए सबसे पहले आपके (निचली अदालतों के) दरवाजे पर दस्तक देता है। मोदी ने शीर्ष अदालत की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट और सिक्के का अनावरण भी किया।
जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहना बंद हो : सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने जिला न्यायालयों को ‘न्यायपालिका की रीढ़’ बताते हुए कहा कि यह कानून का अहम घटक है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा, ‘कानून व्यवस्था की रीढ़ को बनाए रखने के लिए हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना होगा। आजादी के 75 साल बाद, अब समय आ गया है कि हम ब्रिटिश काल के एक और अवशेष को दफना दें।’ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन और बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं किया जाता, तब तक न्याय वितरण प्रणाली की गुणवत्ता नहीं सुधरेगी।