चंडीगढ़, 31 अगस्त (ट्रिन्यू)
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि भाजपा तय नीति के तहत किसानों को घाटे में धकेल रही है। इसलिए उसने धान के निर्यात पर रोक लगाई है और बासमती पर भारी भरकम 20 प्रतिशत निर्यात ड्यूटी थोप दी है। इसके चलते न किसानों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ऊंचे दामों का लाभ मिल पा रहा है और न ही व्यापारियों को। इसलिए सभी के हक में फैसला लेते हुए सरकार को धान के निर्यात पर रोक को तुरंत खत्म कर देना चाहिए और बासमती पर लगाए गए निर्यात शुल्क को भी हटा देना चाहिए।
किसानों, राइस मिलर्स और आढ़तियों के प्रतिनिधिमंडलों ने शनिवार को नई दिल्ली में हुड्डा से मुलाकात कर अपनी मागों का ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान किसानों को इसलिए धान के ऊंचे रेट मिलते थे। चूंकि उस समय निर्यात पर रोक नहीं होती थी। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ऊंचे दामों के चलते अक्सर स्थानीय बाजारों में भी धान की कीमत एमएसपी से भी ऊपर जाती थी और किसानों को खासी आमदनी होती थी। निर्यात के चलते किसानों, कारोबारियों को तो लाभ होता ही था, साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी इसका फायदा मिलता था।
उन्होंने कह कि भाजपा सरकार हर बार धान की आवक से पहले उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा देती है। पिछले साल भी जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने पहले टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और उसके बाद परमल चावल के निर्यात पर रोक लगा दी। धान की आवक से ठीक पहले अगस्त माह में सरकार ने बासमती का न्यूनतम निर्यात मुल्य 950 डॉलर प्रति टन तय करके उसपर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क थोप दिया।