नयी दिल्ली, 1 सितंबर (एजेंसी)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है। जिला न्यायपालिका के दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना ‘हम सभी’ के लिए एक बड़ी चुनौती है।
वहीं कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्याय वितरण प्रणाली के बारे में ‘तारीख पे तारीख’ की आम धारणा को तोड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया और कहा कि इस तरह के प्रयासों से नागरिकों के बीच न्यायपालिका के प्रति विश्वास मजबूत होगा। उन्होंने ‘लंबे समय से लंबित मुकदमों’ के मामले में गहन विश्लेषण करने का भी प्रस्ताव किया। सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा, ‘अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है।’ मुर्मू ने कहा कि न्याय की रक्षा करना देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अदालती माहौल में आम लोगों के तनाव का स्तर बढ़ जाता है। इस कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए।
कार्यक्रम में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्याय वितरण प्रणाली के बारे में ‘तारीख पे तारीख’ की आम धारणा को तोड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया और कहा कि इस तरह के प्रयासों से नागरिकों के बीच न्यायपालिका के प्रति विश्वास मजबूत होगा। उन्होंने ‘लंबे समय से लंबित मुकदमों’ के मामले में गहन विश्लेषण करने का भी प्रस्ताव किया। मंत्री ने कहा कि लंबित मुकदमों का विश्लेषण और समान मामलों को एक साथ जोड़ने से अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने में मदद मिल सकती है और उन्होंने ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए कुछ उच्च न्यायालयों की सराहना भी की। मेघवाल ने कहा कि उनके मंत्रालय ने ‘सभी के लिए न्याय’ का लक्ष्य प्रस्तावित किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित कार्यक्रम में लोगों के लिए किफायती, त्वरित और प्रौद्योगिकी आधारित नागरिक-केंद्रित न्याय को उनके दरवाजे पर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। मंत्री ने कहा, ‘कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे इस आम धारणा को तोड़ें कि न्याय वितरण प्रणाली में ‘तारीख पे तारीख’ की संस्कृति है।’