शिमला, 1 सितंबर(हप्र)
हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की अपनी मांगों को लेकर राज्य की सुक्खू सरकार के खिलाफ लामबंदी लगातार जारी है। इसी कड़ी में रविवार को शिमला में विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों और बोर्डों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर एक बैठक में रणनीति बनाई। शिक्षक नेता वीरेंद्र चौहान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ का गठन किया गया। नव गठित महासंघ में बोर्डों व निगमों के कर्मचारी संगठनों के नेताओं को भी प्रतिनिधित्व दिया गया। बैठक में डीए व संशोधित वेतन के एरियर के साथ-साथ कर्मचारियों की कई अन्य मांगों पर चर्चा की गई। साथ ही कर्मचारियों की मांगों को लेकर सचिवालय के कर्मियों का पुरजोर समर्थन किया गया। मुख्यमंत्री से कर्मचारी संगठनों खासतौर पर सचिवालय के कर्मचारियों के साथ मांगों को लेकर उत्पन्न गतिरोध को बातचीत के माध्यम से खत्म करने का आग्रह किया गया।
शिमला में हुई संयुक्त कर्मचारी महासंघ की बैठक में 50 से अधिक संगठनों से 500 से ज्यादा कर्मचारी नेताओं और सदस्यों ने भाग लिया। इनमें हीरा लाल वर्मा, खेमेन्दर गुप्ता, विनोद कुमार, गोविन्द चतरांटा, बनिता सकलानी, नरेश शर्मा, आशा कुमार, मान सिंह, रविंदर शर्मा, राज कुमार शर्मा, अरुण गुलेरिया, केपी शर्मा, बलदेव ठाकुर, समर चौहान, तिलक नायक, मनोज शर्मा, डीपी शर्मा, कुलदीप अत्री तथा विशेष रूप से न्यू पेंशन स्कीम इंप्लाइज ऐसोसिएशन के 9 जिला अध्यक्षों ने शिरकत की। इनमें सुरेंदर पुंडीर, सुनील जरयाल, राजिंदर कुमार, अशोक कुमार, राकेश धीमान, वीरेंदर जिंटू प्रमुख थे।
बैठक के बाद गोबिंद चत्रांटा और अरुण गुलेरिया की देखरेख में महासंघ के त्रिवार्षिक चुनाव हुए। चुनाव में वीरेंद्र चौहान को अध्यक्ष, हीरालाल वर्मा को महासचिव, खेमेंद्र गुप्ता, वनिता सकलानी, मान सिंह ठाकुर व विनोद कुमार को सीनियर वाइस प्रेसिडेंट चुना गया।