फतेहाबाद, 1 सितंबर (हप्र)
श्याम नगर स्थित जैन सभा भवन में आयोजित पर्यूषण समारोह में सम्बोधित करते हुए कथावाचक आचार्य डॉ. पद्मराज स्वामी ने कहा कि पर्यूषण महापर्व हमें अपने भीतर की शक्ति से परिचित करवाता है। इस पर्व के आलोक में हम यह समझ पाते हैं कि कैसे कोई आत्मा अपना विकास करके परमात्मा बन जाती है। स्वामी ने बताया कि पर्यूषण पर्व आध्यात्मिक पर्व है जो पूर्णतया आत्माभिमुख होने की प्रेरणा देता है।
डॉ. पद्मराज स्वामी ने अष्टम अंग सूत्र का वाचन करने से पूर्व शास्त्र-पूजा की विधि सम्पन्न करवाई। उन्होंने बताया कि यदुकुल में अनेक वीर योद्धा हुए हैं किन्तु तीर्थंकर अरिष्टनेमि और वासुदेव श्रीकृष्ण योद्धाओं की पंक्ति में सबसे निराले और अद्भुत प्रभावशाली नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि यह पर्व भादौ बदी त्रयोदशी से भादौ सुदी पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी तक तपस्या और धर्माराधना के साथ मनाया जाता है। इसे ‘अष्टान्हिक पर्व’ भी कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि देवता भी नन्दीश्वर द्वीप में जाकर अष्ट दिवसीय अष्टान्हिक पर्व मनाते हैं। 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि नाथ और श्रीकृष्ण चचेरे भाई थे। इस मौके पर प्रधान सुरेंद्र मित्तल, विनोद मित्तल, प्रवीण जैन, दीपक तायल, नवल जैन भी उपस्थित रहे।