जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 1 सितंबर
आज बिना किसी सत्ता संघर्ष या उठापटक के अम्बाला नगर निगम पर भी पूर्ण रूप से भाजपा का कब्जा हो गया। हरियाणा जनचेतना पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर निगम मेयर बनीं शक्ति रानी शर्मा द्वारा भाजपा में शामिल होने से ऐसा संभव हुआ है। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी तथा भाजपा के सहयोग से आजाद प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा सांसद चुने गए कार्तिकेय शर्मा की माता हैं।
मेयर के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। संभावना जताई जा रही है कि भाजपा उन्हें कालका से विधानसभा चुनाव लड़वा सकती है, हालांकि अभी हजपा प्रमुख विनोद शर्मा की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। पिछले 3 लोकसभा चुनावों में भाजपा को समर्थन देने के बावजूद उन्होंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय नहीं किया है।
इसी बीच, मेयर के भाजपा में शामिल होने के बाद 20 सदस्यीय अम्बाला नगर निगम सदन में भाजपा की सदस्य संख्या मौजूदा 11 से बढ़कर 15 हो सकती है लेकिन यह सब भविष्य की राजनीति पर निर्भर करता है। लोकसभा चुनाव में हजपा सुप्रीमो विनोद शर्मा द्वारा भाजपा को खुला समर्थन देने के बाद 3 नगर निगम सदस्य कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि इसमें डिप्टी मेयर राजेश मेहता तो कांग्रेस समर्थन से चुनाव जीतते ही विनोद शर्मा के पाले में आ गए थे लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद डिप्टी मेयर राजेश मेहता और हजपा समर्थन से चुनाव जीते 2 पार्षद भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे जिसके बाद सदन में कांग्रेस पार्षदों की संख्या बढ़कर 5 हो गई। लेकिन अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या हजपा खेमे के शेष बचे 4 पार्षद भी भाजपा में शामिल होंगे या नहीं।
प्रत्यक्ष चुनाव से चुनी गई अम्बाला की पहली महिला मेयर शक्ति रानी का कार्यकाल जनवरी 2026 के दूसरे सप्ताह तक है। अगर वह किसी विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ती हैं तो उन्हें इसके लिए पहले मेयर पद से त्यागपत्र देने की जरूरत नहीं पड़ेगी परंतु अगर वह विधायक बन जाती हैं, तो उन्हें मेयर पद छोड़ना होगा।
“भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची में जो दल बदल विरोधी कानून हैं, वह केवल सांसदों और विधायकों पर ही लागू होता है। शहरी स्थानीय निकाय-म्युनिसिपल संस्थानों जैसे नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं के निर्वाचित सदस्यों और उनके पदाधिकारियों पर नहीं। इस प्रकार वह बेरोकटोक दलबदल करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसलिए मेयर शक्ति रानी शर्मा के पद को कोई खतरा नहीं है।”
-हेमंत कुमार, हाईकोर्ट एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार