कुरुक्षेत्र, 3 सितंबर (हप्र)
आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) पूरे देश में प्राकृतिक खेती पर रिसर्च करेगा ताकि अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों को प्राकृतिक से जोड़ा जा सके। इसमें कम पानी वाले क्षेत्र, रेतीली भूमि वाले क्षेत्र, अधिक बरसात वाले क्षेत्र आदि अलग-अलग जगह पर प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वहां पर प्राकृतिक खेती के लिए अनुकूल वातावरण किस प्रकार से तैयार किया जा सकता है। ये जानकारी आज आईसीएआर के डीडीजी डॉ. एस. के. चौधरी ने गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म में दी। वे यहां एडीजी डॉ. राजबीर, डॉ. वेलमुरूगन सहित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के सभी 15 केन्द्रों प्रमुख तथा कृषि वैज्ञानिक गुरुकुल के दौरे पर आए हुए थे। कृषि विशेषज्ञ तथा कृषि वैज्ञानिकों के 55 सदस्यीय इस दल का गुरुकुल पहुंचने पर महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत के ओएसडी डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार सहित विख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम व व्यवस्थापक रामनिवास आर्य ने जोरदार स्वागत किया।
इस अवसर पर विख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम ने बताया कि प्राकृतिक खेती में भारतीय केंचुआ की भूमिका बहुत अहम है। एक केंचुआ एक वर्ष में लगभग साढ़े 3 किलो उपजाऊ मिट्टी आपके खेत में छोड़ता है जिसमें सात गुणा नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश होता है। माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉ. बलजीत सहारण ने जीवाणुओं की गतिविधि पर प्रकाश डाला।