मंडी अटेली, 3 सितंबर( निस)
प्रदेश में 5 अक्तूबर को चुनाव होने का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद जिले व विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मियाें के अलावा मतदाताओं में पिछले 5 साल क्षेत्र की लंबित मांगों पर कार्य नहीं राजनीतिक दलों के प्रति नाराजगी है। अटेली को उपमंडल तथा दौंगड़ा अहीर को उप तहसील का दर्जा नहीं मिलने के अलावा अनेक समस्याओं का निराकरण नहीं होने से सत्ताधारी पार्टी के प्रति खासी नाराजगी है। अटेली विधानसभा परिसीमन के बाद कनीना व अटेली कस्बे के अलावा 104 गांवों को शामिल किया हुआ है।
अटेली कस्बे के अस्पताल को 2005 में तत्कालीन विधायक नरेश यादव के प्रयासों से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीन मंजिला भवन बना दिया था, लेकिन इतना बड़ा भवन बनने के बाद अस्पताल में कथित तौर पर एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है।
अस्पताल में कथित तौर पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा नही होने के कारण प्रतिमाह लगने वाले प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित योजना के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं का निजी अस्पताल में रेफर करना पड़ रहा है। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं होने के कारण निजी केंद्र ऊंचे रेटों का सामना करना पड़ता है।
वहीं अटेली अनाज मंडी में वर्षा के पानी की निकासी नहीं होने के चलते आढ़तियों के साथ किसानों को अपनी-फसल का क्रय-विक्रय करने के लिए खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अटेली खंड के गांव मिर्जापुर-बाछौद में नारनौल-रेवाड़ी मार्ग पर स्थित जोहड़ की निकासी नहीं होने के कारण दोनों गांवों के ग्रामीणों को परेशानी के साथ-साथ मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
मिर्जापुर के सरपंच दिलबाग सिंह, पूर्व सरपंच प्रकाश, बाछौद से सतीश कुमार आदि ने बताया कि जिला प्रशासन को अनेक बार इस समस्या के बारे में अवगत करा चुके हैं लेकिन वही ढाक के तीन पात वाली बात है।
4 करोड़ मंजूृर होने के बावजूद नहीं हुआ नाले का निर्माण
अटेली कस्बे में 2 साल पहले गंदे पानी की निकासी के लिए 4 करोड़ से अधिक की राशि मंजूर होने के बाद भी नाले का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं प्रदेश सरकार खुले मेें शौच नहीं करने के लिए काफी प्रचार कर रही है लेकिन कस्बे के पुराने अड्डे पर सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से दुकानदारों के अलावा यात्रियों व महिलाओं को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। नगरपालिका अटेली द्वारा तीन साल पहले पुरानी तहसील व खजाना कार्यालय वाले स्थान पर अंबेडकर भवन खोलने का प्रस्ताव पास किया था, वह अभी तक अधर में है। अटेली कस्बे में रेलवे स्टेशन के समीप दो दर्जन के करीब मुस्लिम धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन उनके लिए कब्रिस्तान नहीं होने पर अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली के कब्रिस्तान में ले जाकर उसको दफन करते हैं।