हिसार, 3 सितंबर (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि शोध में आवश्यक बदलाव लाने एवं निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन किया गया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे। बैठक में देश के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, वैज्ञानिकों निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों एवं प्रगतिशील किसानों सहित सभी हितधारकों ने भाग लिया।
भागीरथ चौधरी ने अपने संबोधन में किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने एवं खेती की लागत को कम कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहले हमारे देश में खाद्यान्न उत्पादन कम होने के कारण अनाज का विदेशों से आयात करना पड़ता था। खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कृषि वैज्ञानिक देश में हरित क्रान्ति लेकर आए। अब हमारा देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि विदेशों में अनाज का निर्यात कर रहा है। लेकिन देश में छोटे एवं सीमांत किसानों की संख्या अधिक है, खेती की लागत बढ़ती जा रही है व गुणवत्तापूर्ण उत्पादकता में बढ़ोतरी कृषि क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां हैं जिनसे निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को और अधिक शोध करने की आवश्यकता है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि कई क्षेत्रों में खेती में रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि रसायनों का प्रयोग सिफारिश से अधिक होने के कारण आज यह भूमि, जल व पर्यावरण में घुलने के साथ खाद्य शृंखला (फूड चेन) में प्रवेश कर गए हैं जो मानव जाति में गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि हितधारकों की इस बैठक में डीएएफडब्ल्यू के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने सभी का स्वागत किया। आईसीएआर के डीजी डॉ. हिमांशु पाठक ने उपरोक्त विषय के संदर्भ पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आईसीएआर के पूर्व डीजी डॉ. एस अयपन्न व डॉ. त्रिलोचन महापात्रा एनआरएए के सीईओ डॉ. अशोक डलवानी, जेएनयू के पूर्व कुलपति प्रो. सुधीर के सोपोरी व डॉ. प्रवीण राव, डॉ. अरबिन्द कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रगतिशील किसान प्रीतम सिंह, पलविंदर सिंह, सुभाष चंद, सुल्तान सिंह, सुरेंद्र सिंह व सुरेंद्र सिंह स्याड़वा भी उपस्थित रहे।