शिमला, 4 सितंबर (हप्र)
दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए विधायकों की पेंशन खत्म करने के लिए हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को विपक्ष के विरोध के बीच ध्वनिमत से विधेयक पारित कर दिया। ‘हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम संशोधन’ विधेयक को अब राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
इसके तहत उन छह पूर्व विधायकों की पेंशन खत्म होगी, जिन्होंने इसी साल प्रदेश की सुक्खू सरकार से बगावत के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था। इनमें से चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो की पेंशन पूरी तरह बंद होगी। चार अन्य विधायकों- सुधीर शर्मा, इंद्रदत्त लखनपाल, राजेंद्र राणा और रवि ठाकुर को उनके पिछली विधानसभा के कार्यकाल की पेंशन मिलती रहेगी, जबकि मौजूदा कार्यकाल की पेंशन नहीं मिलेगी। संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सत्ता व कुर्सी सदैव साथ नहीं रहती, मगर राजनीति में सिद्धांत जिंदा रहते हैं। उन्होंने स्वच्छ लोकतंत्र के लिए संशोधन विधेयक का समर्थन करने का आग्रह सदन से किया ताकि भविष्य में कोई दलबदल की हिम्मत न
कर सके।
इसमें राजनीतिक प्रतिशोध की बू : जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस संशोधन विधेयक से राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। भाजपा के राकेश जम्वाल ने कहा कि विधेयक बैक डेट से कैसे लागू हो सकता है। भाजपा के ही रणधीर शर्मा ने कहा कि यह विधेयक बदले की भावना से पेश किया गया। उन्होंने बीते फरवरी के राजनीतिक घटनाक्रम व राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्यों ने कोई दलबदल नहीं किया।