भिवानी, 4 सितंबर (हप्र)
अयोध्या का राम मंदिर निर्माण सनातन धर्म का सबसे बड़ा पुण्य का कार्य था। मै आयुष शिक्षा संस्थान के कार्य को उसके समान ही पुण्य मानता हूं, यहां पर दलित असहाय, शोषित और गरीबों व बीमारों की सेवा होगी। आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति को अब पश्चिमी जगत भी मान्यता दे रहा है। इस पद्धति का कोई अतिरिक्त कुप्रभाव भी नहीं है। माजरा की पावन धरा पर ख्यालीराम जैसे आयुर्वेदाचार्य हुए हैं। इसके बाद चित्रादास और भरत दास ने भी आयुर्वेदिक पद्धति से लोगों का इलाज किया है। आयुर्वेदिक औषधियाें के हब के रूप में यह इलाका शुरू से ही भरपूर रहा है। स्वामी नितानंद व उनके आश्रम के संतों ने आयुर्वेद की पांडुलिपियों का भंडार तैयार किया है।
गोविंद देव गिरी महाराज ने अपने संबोधन संदेश में कहा कि इस संस्थान में वैदिक पद्धति के साथ-साथ मेडिकल के नवाचार को भी चिकित्सा शैली में अपनाया जाएगा। ‘मैं जटेला धाम और यहां की साध संगत को स्वामी नितानंद के 225वें निर्वाण दिवस पर 225 बेड के अस्पताल की शुभकामनाएं देता हूं।’
इस मौके पर जटेला धाम के पीठाधीश्वर महेंद्र राजेंद्र दास ने कहा कि दुखी लोगों की दुर्दशा को देखकर आयुष्मान शिक्षा संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य शिक्षा का यह विश्व स्तरीय केंद्र होगा। इस धाम के नवनिर्माण में डॉ. जय सिंह मलिक के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। आज जो संत महात्मा इस संस्थान को आशीर्वाद देने के लिए आए हैं। जटेला धाम की साध संगत उनकी हमेशा ऋणी रहेंगी। राजेंद्र दास ने कहा कि आयुर्वेदिक शिक्षा पद्धति के उत्थान का युग शुरू हो गया है। भारत इस पद्धति से शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेगा।
आर्य समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी संपूर्ण आनंद महाराज ने कहा,’मैं महेंद्र राजेंद्र दास से इस संस्थान के साथ गुरुकुल खोलने का भी आग्रह करता हूं, ताकि यहां लड़के-लड़कियां सनातन संस्कारों से शिक्षित व दीक्षित हों।