शिमला, 6 सितंबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की बहुप्रचारित इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत सरकार ने 2384 आवेदनों को रद्द कर दिया है। सरकार ने ये आवेदन करने वाली महिलाओं को अपात्र पाया है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। यह बात सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने शुक्रवार को विधानसभा में विधायक राकेश जम्वाल, सुखराम चौधरी, रणधीर शर्मा, पवन काजल और विनोद कुमार द्वारा पूछे गए संयुक्त सवाल के जवाब में कही।
कर्नल शांडिल ने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश में एक परिवार से सिर्फ एक महिला को ही 1500 रुपए की सम्मान राशि मिलेगी।
2,45,881 महिलाओं की बढ़ी पेंशन
कर्नल शांडिल ने कहा कि प्रदेश में इस समय 28249 महिलाओं को 1500 रुपए की सम्मान राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रही कुल 2,45,881 महिलाओं को पहले मिल रही पेंशन की धनराशि को बढ़ाकर लाभ प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में इस साल जनवरी माह से 1006 महिलाओं को इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि के तहत 1500 रुपए की राशि दी जा रही है और इस पर अभी तक 1.20 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। कर्नल शांडिल ने कहा कि चुनाव आचार संहिता के कारण आवेदनों के सत्यापन में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि इस योजना का अनुकरण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी किया जा रहा है, क्योंकि यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से संपन्न बना रही है। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई तक इस योजना के तहत प्रदेश में 788784 महिलाओं ने 1500 रुपए की राशि के लिए आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 22.84 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि कांग्रेस ने 18 से 60 वर्ष की आयु की सभी महिलाओं को 1500-1500 रुपए की सम्मान राशि देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब सरकार इससे पीछे हट गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई ऐसी शर्तें लगा दी हैं, जिससे अधिकांश महिलाएं अपात्र हो गई हैं।
दो सालों में प्राकृतिक आपदा में 41 लोग लापता : राजस्व मंत्री
हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा में लापता होने वाले लोगों को जल्द मृत घोषित करवाने के लिए नियमों में बदलाव करवाने का प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान आपदा में लापता हुए लोगों को लेकर विधायक नंद लाल द्वारा पूछे गए एक सवाल के दौरान दखल देते हुए यह बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल में पिछले कुछ समय से बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं और बार-बार आपदाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि नियमों में लापता लोगों को सात साल बाद ही मृत घोषित किया जा सकता है। इससे जहां संबंधित परिजनों को भारी दिक्कतें होती हैं, वहीं मृतकों के प्रति भावनाएं भी नहीं रहती। इससे पहले मूल सवाल का जवाब देते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पिछले दो सालों में अभी तक आई प्राकृतिक आपदा में अभी भी 41 लोग लापता हैं।