हेमंत पाल
फिल्मों में विषयों की कमी नहीं है। हर साल सैकड़ों हिंदी फ़िल्में बनती और रिलीज होती हैं। कुछ विषय दर्शकों की पसंद पर खरे उतरते हैं, कुछ ऐसे विषय होते हैं, जिन्हें दर्शक नकार देते हैं। इन्हीं विषयों ने एक है राजनीतिकों पर फ़िल्में। सामान्यतः राजनीतिक किरदारों को लोग परदे पर देखना कम ही पसंद करते हैं। यही वजह है कि इन किरदारों पर बनी ज्यादातर फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई। कुछ ऐसे भी किरदार हैं, जिन्हें केंद्रित करके जब भी कोई फिल्म बनी, विवादों में ज्यादा फंसी। इन्हीं में से एक हैं इंदिरा गांधी। लंबे अरसे तक देश की राजनीति के केंद्र में रहीं इंदिरा गांधी को उनके आपातकाल लागू करने के फैसले की वजह से विवादों में लाया जाता रहा है। इसका नतीजा यह है कि जब भी इंदिरा गांधी को केंद्र में रखकर कोई फिल्म बनी, उसके सामने उलझन जरूर आई। आपातकाल पर बनी पहली फिल्म थी ‘किस्सा कुर्सी का’ जिसे लेकर लंबा विवाद हुआ। उसके बाद जिस फिल्म में इंदिरा गांधी की कोई भूमिका नजर आई वही फिल्मकार के लिए अड़चन बनी। अब अभिनेत्री कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ भी इसी फेहरिस्त में शामिल हो गई।
‘इमरजेंसी’ पूरी तरह से इंदिरा गांधी के एक फैसले को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें कंगना रनौत ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया। वे खुद इस फिल्म की निर्माता भी हैं। शुरू से ही इस बात की आशंका थी, कि यह फिल्म विवाद का कारण बनेगी, वही हुआ भी। फिल्म में 1975 के दौर की कहानी बताई गई, जब देश में आपातकाल लगाया गया था। तब देश में यह सब क्यों हुआ और तत्कालीन सरकार ने यह फैसला किस मज़बूरी में लिया- यह विवाद का अलग विषय है, पर ‘इमरजेंसी’ का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही फिल्म को लेकर विरोध शुरू हो गया। मामला इतना बढ़ा कि अदालत तक पहुंच गया और सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म की रिलीज को रोक दिया। ‘इमरजेंसी’ के विरोध का कारण एक समाज विशेष है, जिनका कहना है कि फिल्म में उनकी भूमिका को गलत ढंग से पेश किया गया। उनके मुताबिक, फिल्म में वास्तविकता नहीं दिखाई गई और उन्हें नकारात्मक रूप में दर्शाया। लेकिन, अभी फिल्म रिलीज नहीं हुई, तो कहा नहीं जा सकता कि फिल्म की स्क्रिप्ट में वास्तव में क्या दिखाया गया। लेकिन, यह तय है कि इंदिरा गांधी पर बनी ये फिल्म भी पहले आई फिल्मों से अलग नहीं रही।
सिर्फ चाल-ढाल की वजह से ‘आंधी’ उलझी
अमृतलाल नाहटा की ‘किस्सा कुर्सी का’ से लेकर गुलजार की ‘आंधी’ तक में दर्शकों ने इंदिरा गांधी को परदे पर देखा। इसके अलावा भी फ़िल्में बनी, जिनमें इंदिरा गांधी दिखाई दी। किंतु, ज्यादातर फ़िल्में विवादों से बची नहीं रही। आश्चर्य की बात तो यह कि आपातकाल से पूर्व 13 फरवरी 1975 को आई गुलजार की फिल्म ‘आंधी’ ने सबसे पहले राजनीतिक जगत में तूफान मचाया था। फिल्म में सुचित्रा सेन ने आरती नाम की एक नेता का किरदार निभाया था जिसका पहनावा और चाल-ढाल इंदिरा गांधी जैसी थी, और हेयर स्टाइल भी वैसा ही था। उनके बोलने का अंदाज भी इंदिरा गांधी जैसा दिखाने की कोशिश की गई थी। दक्षिण भारत में एक पोस्टर में तो यहां तक लिख दिया था ‘अपनी प्रधानमंत्री को परदे पर देखो।’ उसके बाद ही फिल्म का विरोध शुरू हुआ और इस पर प्रतिबंध लगा दिया। जबकि, इस फिल्म का इंदिरा गांधी से कोई संबंध नहीं था। इसके बाद तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने इस फिल्म को हरी झंडी दे दी और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई।
फिल्म के खिलाफ इसलिए उठी आवाज
इंदिरा गांधी के आपातकाल वाले फैसले की दशकों से अलग-अलग तरह से व्याख्या होती रही है। यही वजह है कि फिल्म रिलीज से पहले विवादों में आई। हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ। इसके सामने आने के बाद से ही फिल्म मुश्किल में आ गई। ट्रेलर देखने के बाद से ही एक धार्मिक समुदाय ने फिल्म को लेकर विरोध शुरू किया। उनके संगठन ने फिल्म की फिर से समीक्षा करने की अपील की। यह भी कहा गया कि उनके समुदाय को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। ट्रेलर सामने आने के बाद विरोध का कारण यह है कि इसमें एक चरित्र विवादास्पद संवाद बोलता है। जिसे लेकर पंजाब में विरोध की आवाजें उठी। इस फिल्म में जो दिखाया गया उससे उनकी भावनाओं को कथित ठेस पहुंची है। फिल्म पर बैन लगाने के साथ यह भी कहा गया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उस समुदाय विशेष विरोधी भावनाओं वाली कोई भी फिल्म भविष्य में रिलीज न हो।
जिन फिल्मों को लेकर विरोध हुआ
इंदिरा गांधी सरकार के आपातकाल के फैसले पर ‘किस्सा कुर्सी का’ बनी थी। फिल्म का डायरेक्शन अमृत नाहटा ने किया था और भगवंत देशपांडे, विजय कश्मीरी और बाबा मजगांवकर प्रोड्यूसर थे। कहा जाता है कि इस फिल्म से संजय गांधी इतना नाराज हुए थे कि फिल्म की ओरिजनल और बाकी सारे प्रिंट्स तक जलवा दिए गए। इस वजह से संजय गांधी पर 11 महीने तक केस चला। फिर 27 फरवरी 1979 को कोर्ट का फैसला आया और उन्हें 25 महीने की जेल की सजा सुनाई गई। बाद में इस फिल्म को शबाना आजमी और मनोहर सिंह को लेकर दोबारा शूट किया गया। आपातकाल के नाम पर खूब प्रचारित भी किया गया। इसके बावजूद फिल्म को दर्शक नहीं मिले। जहां भी यह फिल्म प्रदर्शित हुई वितरकों को घाटा ही देकर गई। मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदू सरकार’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। फिल्म में 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के हालात दिखाए गए थे। इस फिल्म को भी ट्रेलर लॉन्च होने के बाद ही देशभर में विरोध झेलना पड़ा था।
इन फिल्मों में भी दिखीं इंदिरा गांधी
कुछ ऐसी फ़िल्में जरूर हैं, जिनमें कथानक की जरूरत के लिए इंदिरा गांधी का किरदार दिखाया गया। साल 2012 में आई दीपा मेहता की ‘मिडनाइट चिल्ड्रन’ में बंगाली-ब्रिटिश एक्ट्रेस सरिता चौधरी ने अपने इंदिरा गांधी के लुक से दर्शकों का दिल जीत लिया था। वर्ष 2018 में प्रदर्शित ‘रेड’ में फ़्लोरा ने इंदिरा गांधी की भूमिका निभायी थी। पर, इस फिल्म को कोई खास तरजीह नहीं दी गई। साल 2019 में ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म में किशोरी ने इंदिरा गांधी का क़िरदार निभाया था। उनके लुक को दर्शकों ने काफी सराहा। इसके बाद 2019 में ही प्रदर्शित फिल्म ‘ठाकरे’ में अवंतिका अकेरकर ने इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई। लेकिन, यह भी कोई असर नहीं छोड़ पाई। वर्ष 2021 की फिल्म ‘बेल बॉटम’ एक एक्शन-थ्रिलर फ़िल्म थी। इसमें लारा दत्ता ने इंदिरा गांधी का क़िरदार निभाया। इस फ़िल्म में उनकी एक्टिंग और लुक को दर्शकों ने ख़ूब सराहा था। इसके साथ ही 2021 में प्रदर्शित ‘भुज : द प्राइड आफ इंडिया’ में नवनी परिहार ने इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है। ये वे फ़िल्में हैं जिनमें सिर्फ किरदार को दिखाया भर गया था
ये चौथी फिल्म, जिससे विवाद पनपा
इस फेहरिस्त में ‘इमरजेंसी’ चौथी फिल्म है, जो लोगों की नाराजगी की भेंट चढ़ी। अभी भी कहा नहीं जा सकता कि इस फिल्म का भविष्य क्या होगा! क्योंकि, एक समाज की नाराजगी मायने रखती है। सरकार भी ऐसा कोई विवाद खड़ा नहीं होने देगी, जो अकारण हो। इस आपातकाल को सैल्यूलाइड पर दस्तावेज की तरह संजोकर रखने के मकसद से बनी फिल्म ‘इमरजेंसी’ भी विरोध के झंझट में फंस गई। यह चौथी बार है जब फिल्म की रिलीज तय तारीख को प्रदर्शित नहीं हो सकी। पहले यह फिल्म आपातकाल की 48वीं वर्षगांठ पर 25 जून, 2023 को प्रदर्शित होने वाली थी। फिर इसे इसी साल (2024) 14 जून को परदे पर उतारने फैसला किया गया, पर लोकसभा चुनाव की वजह से फिल्म टालना पड़ी, क्योंकि कंगना रनौत खुद उम्मीदवार थीं। फिर इसे 6 सितंबर को रिलीज होना था। लेकिन, फिल्म फिर से नए झमेले में फंस गई।