नयी दिल्ली (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी उच्च अदालत में न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया किसी व्यक्ति का विशेषाधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कॉलेजियम को निर्देश दिया कि वह दो वरिष्ठतम जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की पदोन्नति पर सामूहिक रूप से पुनर्विचार करे, जिन्हें हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति नहीं दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को हाईकोर्ट में पदोन्नत करने के संबंध में हाईकोर्ट के कॉलेजियम द्वारा कोई सामूहिक परामर्श नहीं किया गया तथा दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों की उपयुक्तता पर निर्णय मुख्य न्यायाधीश का व्यक्तिगत निर्णय प्रतीत होता है। इसने न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े मामलों में कुछ संवेदनशील सूचनाओं को संरक्षित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि ऐसी सूचनाओं का खुलासा करने से न केवल किसी व्यक्ति की गोपनीयता, बल्कि प्रक्रिया की शुचिता से भी समझौता होगा।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने हिमाचल प्रदेश में कार्यरत दो वरिष्ठतम जिला एवं सत्र न्यायाधीशों- चिराग भानु सिंह और अरविंद मल्होत्रा की याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि हाईकोर्ट के जज के लिए नामों के चयन में हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनकी योग्यता और वरिष्ठता पर विचार नहीं किया गया। पीठ ने उल्लेख किया कि दोनों याचिकाकर्ताओं को तत्कालीन हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा 6 दिसंबर, 2022 को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। इसने विधि एवं न्याय मंत्री द्वारा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को 16 जनवरी, 2024 को लिखे गए पत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें अनुरोध किया गया था कि उपलब्ध सेवा कोटा रिक्तियों के मद्देनजर दो न्यायिक अधिकारियों के लिए नयी सिफारिशें भेजी जाएं।