नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा)
Arvind Kejriwal: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दायर अपने नवीनतम पूरक आरोप पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस नीति के निर्माण और उसके क्रियान्वयन से जुड़ी ‘आपराधिक साजिश में शुरुआत से ही शामिल’ थे। CBI ने मामले में पांचवां और अंतिम आरोप पत्र दायर कर अपनी जांच पूरी की।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के मन में पहले से ही आबकारी नीति के संबंध में ‘निजीकरण का विचार’ था। भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इस नीति को रद्द कर दिया गया था। CBI ने कहा, ‘जब मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह द्वारा नीति तैयार की जा रही थी, तब उन्होंने (केजरीवाल ने) मार्च 2021 में अपनी पार्टी AAP के लिए वित्तीय सहायता की मांग की थी।’ सिसोदिया इस मामले में सह-आरोपी हैं।
CBI ने आरोप पत्र में कहा, ‘केजरीवाल के करीबी सहयोगी और आम आदमी पार्टी (AAP) के मीडिया एवं संचार प्रभारी तथा सह-आरोपी विजय नायर दिल्ली में शराब कारोबार के विभिन्न हितधारकों से संपर्क साध रहे थे और अनुकूल आबकारी नीति के बदले उनसे अवैध रिश्वत की मांग कर रहे थे।’ AAP ने इन आरोपों से इनकार किया है।
तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया गया था केजरीवाल को
केजरीवाल को CBI ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। वह कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले की जांच के सिलसिले में तिहाड़ में बंद थे। केजरीवाल ने CBI द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है, जिस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है।
आरोप- आबकारी नीति के बदले उनसे 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए
CBI ने आरोप पत्र में कहा कि विजय नायर ने केजरीवाल के लिए सह-आरोपी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता की अध्यक्षता वाले ‘साउथ ग्रुप’ के आरोपियों से संपर्क करने के माध्यम के रूप में काम किया और अनुकूल आबकारी नीति के बदले उनसे 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल की ‘मनचाही आबकारी नीति को लागू करने और मंजूरी देने’ में भूमिका थी।
गोवा भेजी गई रकम
CBI ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि AAP के टिकट पर 2022 का गोवा विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राज्य के दो पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रचार अभियान संबंधी खर्चों के लिए पार्टी के एक स्वयंसेवक ने नकद भुगतान किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को अपने पक्ष में करने के लिए साउथ ग्रुप द्वारा चुकाई गई कुल 90-100 करोड़ रुपये की अवैध धनराशि में से 44.5 करोड़ रुपये की नकदी चुनाव संबंधी खर्चों के लिए पार्टी द्वारा गोवा भेजी गई थी।