समराला, 7 सितंबर (निस)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय नयी दिल्ली और हिंदी विभाग पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्र निर्माण में साहित्य की भूमिका पर आज तीसरे और अंतिम दिन देश के विभिन्न राज्यों से आए हिंदी विद्वानों ने विचार मंथन किया। सभी का एक मत सामने आया कि साहित्य ही व्यक्तिगत और समष्टिगत चेतना को जागृत करता है, जिससे व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण होता है। राष्ट्रीय चरित्र ही समष्टि के लिए सर्वोपरि है। संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील शर्माअमृतसर ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में वर्तमान परिदृश्य में साहित्य लेखन की चुनौतियों को अभिव्यक्त किया। संगोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए विशिष्ट वक्ता डॉ.राजेंद्र कौर अनेजा, रिटा. प्रो. राजकीय मोहिंद्रा महाविद्यालय, पटियाला ने सिख गुरुओं और पंजाब के आधुनिक हिंदी कवियों की राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका को प्रकाशित किया। विशिष्ट वक्ता डॉ. दयानंद तिवारी, प्रोफेसर एवं शोध आचार्य, जेजेटी विश्वविद्यालय, राजस्थान ने अपने वक्तव्य के माध्यम से बताया कि राष्ट्रीय संकल्पना की भावना विश्वविद्यालय की संगोष्ठी तक ही सीमित न रहे अपितु हिंदी साहित्य के माध्यम से जन सामान्य तक भी पहुंचे।