रेनू सैनी
आज कम्प्यूटर, टैबलेट एवं मोबाइल पर अधिकांश लोग काम करते हैं। आप सभी ने इन उपकरणों पर टाइपिंग का कार्य करते हुए कई बार गलत शब्द भी लिख दिए होंगे। ऐसा करने पर गलत शब्द का चयन करके उस पर डिलीट बटन दबा दिया होगा। ऐसा करने से गलत शब्द स्क्रीन से हट गए होंगे। सोचिए कितना अच्छा होता यदि जीवन में भी एक ऐसा ही डिलीट बटन होता। उस डिलीट बटन का प्रयोग आप अपने जीवन में करते और हर बुरी घटना को डिलीट कर देते।
मनुष्य अपने बचपन में अक्सर ऐसा परिवेश देखता है जहां पर लोग चिंता एवं तनावग्रस्त रहते हैं। वे सुख, स्वास्थ्य एवं समृद्धि से भरपूर क्षणों को जीने के बजाय उन्हें उस चीज़ की चिंता करने में व्यय कर देते हैं जो अनिश्चित हैं। चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का अंतर है, उसी तरह वास्तविक जीवन में भी चिंता करने वाले व्यक्ति की चिता बनते देर नहीं लगती। चार्ल्स एच. मेयो का तो इस संदर्भ में यह कहना है कि, ‘मुझे आज तक एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जो काम की अति से मरा हो, अलबत्ता कई लोग चिंता की वजह से जरूर मरे हैं।’ मनुष्य के जीवन की सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह विश्व में फैले ज्ञान को जानकर स्वयं को सुधार सकता है। इसी तरह वह अपने जीवन से चिंताओं, मुसीबतों के जाल को भी काट कर फेंक सकता है।
अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर चिंताओं और मुसीबतों को डिलीट करने के लिए क्या करना होगा? इसके लिए आपको कुछ खास नहीं करना है, केवल ‘कोनमारी विधि’ को जानना एवं समझना है। यह कोनमारी विधि आपको मैरी कोंडो की पुस्तक, ‘द लाइफ-चेंजिंग मैजिक ऑफ डाइटिंग अप’ में मिल जाएगी। यदि आप पुस्तक तक नहीं पहुंच सकते तो कोई बात नहीं, इस लेख के माध्यम से आप ‘कोनमारी विधि’ को बड़ी ही सरलता से जान जाएंगे। ‘कोनमारी विधि’ कहती है कि जीवन से आप हर उस चीज को निकाल दीजिए, जो व्यर्थ है, आपके काम की नहीं है या फिर सिर्फ आपको दुःख एवं तनाव देती है। अब बात आती है कि कौन सी व्यर्थ चीजों को जीवन से निकाला जाए। ये व्यर्थ चीजें निम्न प्रकार से हो सकती हैं :-
आपके जीवन में घटित कोई बुरी घटना या याद, पारिवारिक झगड़े, आपके घर में अव्यवस्थित या फालतू का सामान, बेवजह के अर्थहीन संबंध अथवा किसी प्रियजन का बिछुड़ जाना।
उपरोक्त पांचों बातों के बारे में आप गंभीरता से विचार करेंगे तो यह स्वयं जान जाएंगे कि वाकई प्रयोग में न आने वाली वस्तुएं, अर्थहीन संबंध, बुरी यादें, प्रियजन का असमय बिछुड़ जाना, अव्यवस्थित सामान और झगड़े न केवल हमारे मस्तिष्क को कुंठाग्रस्त कर देते हैं, अपितु हमारा सुख-चैन भी छीन लेते हैं।
एक ऐसा बड़ा घर जो ढेर सारे अव्यवस्थित सामान से भरा हो, सुकून के पल नहीं दे सकता। वहीं एक छोटा, मगर अव्यवस्थित घर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।
इसी तरह संबंधों में अक्सर लोग गड़े मुर्दे उखाड़ने से परहेज नहीं करते। वे पुरानी और बीत चुकी बातों को लेकर अपने वर्तमान के संबंधों को भी खराब कर लेते हैं। ऐसा करके वे जीवन के उन आनंददायक पलों से वंचित रह जाते हैं जो मिल-जुलकर रहने से प्राप्त होते।
जीवन सदा एक समान नहीं रहता। दुख-सुख दोनों इसके पहलू हैं। विक्टोरिया होल्ट कहते हैं कि, ‘कभी अफसोस न करें। यदि यह अच्छा है, तो अद्भुत है। यदि बुरा है, तो अनुभव है।’
नितेश कुमार का जन्म 30 दिसम्बर, 1994 को हुआ था। वर्ष 2009 में जब वे केवल पन्द्रह साल के थे तो विशाखापत्तनम में एक रेल दुर्घटना के दौरान उनका बायां पैर कट गया। किशोरावस्था में हुए इतने बड़े हादसे ने नितेश एवं उनके परिवार को अंधकार में डाल दिया। लेकिन कुछ समय बाद अपने परिवार का साथ पाकर नितेश ने इस दुर्घटना से बाहर आने का निर्णय लिया। नितेश अपनी पढ़ाई करते रहे। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। वे एक सफल इंजीनियर बन गए। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने बैडमिंटन खेलना आरंभ किया। कुछ समय बाद उन्होंने पैराएथलीट बनने का निर्णय लिया। इस तरह उन्होंने प्रतियोगिताओं में जाना आरंभ कर दिया। पेरिस पैरालंपिक 2024 में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उनका कहना है कि, ‘मैंने दृढ़ संकल्प कर लिया था कि अपनी दुर्घटना को भूलकर आगे के सुंदर जीवन पर ध्यान दूंगा। मैंने बस यही किया और सफलताएं मेरे साथ जुड़ती चली गईं।’
उन्होंने स्वयं को ‘कोनमारी विधि’ के माध्यम से ही उभारा। इसी तरह कोई भी व्यक्ति ‘कोनमारी विधि’ के माध्यम से अपने जीवन के बुरे अनुभवों और बुरी परिस्थितियों को डिलीट कर सकता है। आप भी आज से ही अपने जीवन में ‘कोनमारी विधि’ को शामिल कीजिए और खुशियों एवं सफलता को चुनिए।