पेरिस, 8 सितंबर (एजेंसी)
भारत के पैरा एथलीट्स ने पेरिस पैरालंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड 29 पदक अपने नाम किये हैं। पूजा ओझा रविवार को यहां महिलाओं की कयाक एकल 200 मीटर केएल1 स्प्रिंट कैनोइंग स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने से चूक गईं और इसके साथ ही भारत का पैरालंपिक में अभियान भी समाप्त हो गया।
भारत ने सात स्वर्ण, नौ रजत और 13 कांस्य पदकों के रिकॉर्ड के साथ पेरिस पैरालंपिक खेलों का समापन किया और उसका पदक तालिका में 18वें स्थान पर रहना तय है। भारत पिछली बार पांच स्वर्ण, आठ रजत और छह कांस्य पदकों के साथ 24वें स्थान पर रहा था। पूजा रविवार को भारत की तरफ से खेलने वाली अकेली खिलाड़ी थी। इससे पहले शनिवार को हरियाणा के पानीपत जिले के नवदीप सिंह भाला फेंक के एफ41 वर्ग में भारत के पहले स्वर्ण पदक विजेता बने। नवदीप 47.32 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ दूसरे स्थान पर थे, लेकिन ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उनके रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया।
तानों को जीत में बदला, नवदीप बोले- हम भी सम्मान के हकदार
छोटे कद के नवदीप सिंह को पानीपत जिले में अपने गांव में प्रशिक्षण की सामान्य कठिनाइयों के साथ लोगों के तानों का भी सामना करना पड़ता था। नवदीप ने उन उपहासों को सफलता में बदलते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया। चार फीट चार इंच कद के भाला फेंक खिलाड़ी नवदीप ने अपने जैसे पैरा खिलाड़ियों के लिए उस तरह की सम्मान की मांग की, जैसा सामान्य खिलाड़ियों को मिलता है। भारतीय पैरालंपिक समिति की ओर से साझा किए गये वीडियो में नवदीप ने कहा, ‘हमें भी उतना दर्जा मिलना चाहिए, मैंने भी देश का नाम रोशन किया है। मेरा उद्देश्य समाज को शिक्षित करना है कि हम भी इस दुनिया में मौजूद हैं और किसी को हमारा मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, जो अक्सर होता है। हम भी अपने देश को गौरवान्वित कर सकते हैं।’ नवदीप के पिता दलबीर सिंह राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे और उन्होंने खेलों में आगे बढ़ने के लिए अपने बेटे का पूरा समर्थन किया। नवदीप ने 10 साल की उम्र में अपनी एथलेटिक यात्रा शुरू की और भाला फेंक में पहचान पाने से पहले उन्होंने कुश्ती तथा दौड़ में हाथ आजमाया। फोटो : एएनआई