रविंदर शर्मा/गुरतेज प्यासा
बरनाला/संगरूर, 8 सितंबर
पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने राज्य में सभी सरकारी अस्पतालों में आज से आंशिक रूप से ओपीडी बंद रखने का फैसला किया है। डाक्टरों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में काम का बोझ बहुत ज्यादा है। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों से वार्ड भरे रहते हैं, गैर डाक्टरी कामों के कारण डाक्टर मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं। वहीं, पीसीएमएस एसोसिएशन की जालंधर की मीडिया सचिव व एमरजेंसी विभाग की इंचार्ज डॉ. हरवीन कौर ने बताया कि अस्पतालों में डाक्टरों की नियमित भर्ती की जानी चाहिए। डाक्टरों के काटे भत्ते भी बहाल किये जाएं। उन्होंने कहा कि कल सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही जारी रहेगी। सिविल अस्पताल में डाक्टरों ने आने वाले मरीजों को पंफ्लेट भी बांटे जिसमें लिखा था कि हड़ताल का कारण सरकार को जगाना है क्योंकि डाक्टरों की कमी के कारण लोगों को वह सेहत सुविधा नहीं मिल रही जो उन्हें मिलनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है। पीसीएमएसए के प्रदेश अध्यक्ष अखिल सरीन ने कहा कि 9 से 11 सितंबर तक सुबह आठ से 11 बजे तक ओपीडी सेवाएं बंद रखीं जायेंगीं और 12 सितंबर को ओपीडी सेवाएं बिल्कुल ठप रखी जायेंगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिल ने कहा कि राज्य में सरकारी स्वास्थ्य संस्थान आधी क्षमता पर काम कर रहे हैं। मरीजों को देखने के अलावा, डॉक्टरों पर वीआईपी और आपातकालीन कर्तव्यों, पोस्टमार्टम और मेडिको कानूनी मामलों जैसी अन्य जिम्मेदारियों का बोझ है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के 4600 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 2800 खाली हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की एक और बड़ी मांग कार्यस्थल पर हर समय सुरक्षा की है क्योंकि उन्हें अक्सर नाराज मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों से निपटना पड़ता है।