चंडीगढ़, 8 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का मुद्दा गर्म है। प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी पिछले कई साल से पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार ओपीएस बहाली को लेकर आंदेालन कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) की जगह यूपीएस (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) लागू करने का ऐलान कर चुकी है।
ओपीएस की मांग को लेकर संघर्ष समिति द्वारा पहले जिला स्तरीय आक्रोश मार्च निकाले गए। इसके बाद संघर्ष समिति द्वारा 25 अगस्त को अंबाला और पहली सितंबर को हिसार में ओपीएस तिरंगा मार्च निकाले गए। 8 सितंबर को रोहतक में तिरंगा मार्च निकाला जाना था। जिला प्रशासन ने संघर्ष समिति को इसकी परमिशन नहीं दी। इससे नाराज संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि 9 से 11 सितंबर तक कर्मचारी अपने विभागों में काली पट्टी बांध सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करेंगे।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि हरियाणा के 2 लाख 90 लाख सरकारी कर्मचारी व लगभग 40 हजार हरियाणा निवासी केंद्रीय विभागों और अर्द्ध-सैनिक बलों में नियुक्त कर्मचारी जिनपर नई पेंशन योजना एनपीएस लागू की गई ओपीएस बहाली की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक कर्मचारी के परिवार में औसतन 5 मतदाताओं के हिसाब से कुल वोटरों की संख्या 15 लाख से ज्यादा बनती है। इस प्रकार प्रत्येक विधानसभा अनुसार कर्मचारियों का 15 हजार से ज्यादा वोट कर्मचारियों के हैं, जो विधानसभा चुनाव में हार-जीत के परिणाम को तय करेंगे।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से भी लगातार ओपीएस का आंदोलन जारी है। इसी कड़ी में पहली सितंबर को हिसार 15 हजार से अधिक कर्मचारियों ने तिरंगा मार्च में भाग लिया। 8 सितंबर को रोहतक में मंडल स्तरीय मार्च निकाला जाना था। इसकी एक दिन पूर्व अनुमति को रद्द कर दिया गया। पेंशन बहाली संघर्ष समिति द्वारा जून-2023 में 2 जून से नांगल-चौधरी से साइकिल यात्रा शुरू कर सभी जिलों से होते हुए 23 जून को पंचकूला में राज्यपाल के नाम ज्ञापन दे यात्रा का समापन किया गया।