डॉ. मोनिका शर्मा
घर-गृहस्थी संभालने के साथ ही जरूरी है कि एक महिला खुद का वजूद भी जहन में रखे। इसमें घर के कामकाज व जिम्मेदारियों के अलावा अपने साज-शृंगार, हॉबीज, रुचियों, पसंदीदा खेल और व्यायाम का नियमित रूप से ख्याल रखना शामिल है। अकसर अपनों की संभाल-देखभाल करने वाली महिलाएं खुद की देखभाल के मोर्चे पर चूक जाती हैं। मसलन, अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को या तो गंभीरता से नहीं लेतीं या देर कर देती हैं। इन स्थितियों में जरूरी है कि महिलाएं भी स्वस्थ, सधी और सक्रिय जीवनशैली अपनाएं। आमतौर पर स्वास्थ्य सहेजने का अर्थ बीमारियों के जाल में फंसने के बाद सही संभाल-देखभाल से जोड़कर ही देखा जाता है। घर के हर सदस्य को छोटी-छोटी बातों के लिए हिदायत देने वाली अधिकतर महिलाएं खुद किसी बीमारी के कुचक्र में फंसने के बाद ही चेतती हैं। जबकि आम जीवन में ऐसे बहुत से छोटे-छोटे प्रयास किये जा सकते हैं जो व्याधियों से बचाने वाले साबित होते हैं। मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखते हैं। ज़िंदगी जीने की सहजता लाते हैं।
शारीरिक सक्रियता जरूरी
घरेलू भागदौड़ को कसरत नहीं माना जा सकता। प्रतिदिन एक फिक्स रूटीन में चलना-फिरना और कामकाज निपटाना शरीर के कई अंगों पर कोई असर नहीं डालता है। इसीलिए एक्सरसाइज़ के तौर पर घरेलू काम ही पर्याप्त हैं, इस सोच से बाहर आना आवश्यक है। खुद को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए योग, वॉक या कोई दूसरी तरह की गतिविधि बेहद जरूरी है। अहम बात यह भी है कि अलग से फिजिकल एक्टिविटी के लिए समय निकालने से मन का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। सुकून के साथ वर्कआउट करना मन को भी शांति देता है। शरीर को ऊर्जावान रखता है। वहीं घर के कामकाज करते हुए थकने और पसीना बहाने के बावजूद मन भी एक आपाधापी में उलझा रहता है। यह करना है, वह छूट गया, देर हो गई जैसी बातों की उलझन बनी रहती है। ऐसे में कुछ समय शारीरिक व्यायाम के लिए जरूर निकालें।
खानपान का खयाल
घर में सभी की पसंद का बना-पका देने वाली महिलाएं खुद नाश्ता तक समय पर नहीं करतीं। अपने भोजन की अनियमितता की ओर ध्यान न देने की गलती अधिकतर महिलाएं करती हैं। घर के छोटे-बड़े सदस्यों को समय पर खाना खाने की हिदायत देने वाली महिलाओं का खुद की उपेक्षा का यह बर्ताव घरों में आम सा चलन है। फल-सब्जी खाने की अनदेखी ही नहीं, काम निपटाने की भागमभाग में पर्याप्त पानी तक नहीं पीतीं। जबकि बहुत सी बीमारियां तो आहार संबंधी आदतों के कारण ही जड़ें जमा रही हैं। कभी लम्बे उपवास तो कभी थोड़ा-बहुत खाकर काम चला लेने की प्रवृत्ति पौष्टिक भोजन से दूर करने वाली है। हमारे देश में कमोबेश हर आयुवर्ग और हर तबके की महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इसीलिए बड़ी वजह पौष्टिक भोजन न लेना ही है। इसीलिए दिन की शुरुआत प्रोटीन और फाइबर से भरपूर नाश्ते के साथ करें ताकि शरीर में ऊर्जा और मन में उत्साह बना रहे। ध्यान रहे कि भोजन और इम्यून सिस्टम की बेहतरी भी आपस में जुड़े हैं। खानपान का ख्याल न रखना शरीर के साथ ही दिलो-दिमाग की सेहत भी बिगाड़ता है। कमजोरी से चिड़चिड़ापन, अवसाद और तनाव जैसे समस्याएं होती हैं।
आदतों से जुड़ी सजगता
आज के समय में आम जीवन से जुड़ी बहुत सी आदतों को सही करना आवश्यक है तो कई आदतों से बचने की सजगता भी जरूरी है। आप वर्किंग महिला हों या गृहिणी, थोड़ा ख्याल इस बात पर देना चाहिए कि कहीं कोई बुरी लत या अजब-गजब जीवनशैली न घेर ले। आज की बदलती लाइफस्टाइल में आम महिलाओं में धूम्रपान और शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है। कभी जल्दबाजी तो कभी मेलजोल की स्थितियां, महिलाओं में फास्टफूड खाने का चलन भी बढ़ा रही हैं। जीवनशैली का यह बदलाव तनाव और मोटापे जैसी समस्याओं के साथ ही कई गंभीर रोगों को न्योता देने वाला है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के एक शोध के अनुसार महिलाओं को डिमेन्शिया के खतरे से बचाने वाली आदतों में स्वस्थ वजन बनाए रखना और धूम्रपान न करने जैसी बातें भी शामिल हैं। दिखावटी-बनावटी जीवनशैली ने जोखिम भरी आदतों को बढ़ावा ही दिया है। महिलाएं घर के दूसरे सदस्यों को हर बुरी आदत से दूर रखने के जतन करती हैं। समझाइश देकर उनका स्वास्थ्य संभालती हैं। ऐसे में स्त्रियों का खुद भी कई मोर्चों पर सजग रहना जरूरी है। असल सेहत की संभाल-देखभाल पूरी लाइफस्टाइल से जुड़ी है। स्वस्थ रहने के लिए सक्रियता के साथ ही हर पहलू पर सजगता और सधापन भी आवश्यक है।