ऐसे वक्त में जब भारतीय परिवारों के स्वरूप में बदलाव के बाद करोड़ों बुजुर्ग एकाकी जीवन बिता रहे हैं और उनके पास महंगे इलाज के लिये पर्याप्त जमा पूंजी नहीं है, वे अब भविष्य की चिंताओं से कुछ मुक्त हो सकते हैं। निस्संदेह, बुढ़ापा भी अपने आप में एक रोग है। जब आय के स्रोत सिमट जाते हैं और बच्चों से पर्याप्त मदद नहीं मिलती तो शरीर में रोग दस्तक देने लगते हैं, फिर महंगे इलाज की चिंता और बढ़ जाती है। अकसर भारत में कर्मचारी व आम लोग कहते हैं कि वे जीवन भर आयकर चुकाते हैं, लेकिन बुढ़ापे में सरकार की ओर से सामाजिक सुरक्षा ना के बराबर होती है। लेकिन अब मोदी सरकार ने लोकतंत्र के सामाजिक कल्याणकारी स्वरूप को तरजीह दी है। केंद्र सरकार ने अब सत्तर साल से ऊपर के सभी वरिष्ठ नागरिकों को ‘आयुष्मान भारत’ योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि करीब साढ़े चार करोड़ परिवार इस योजना में शामिल होंगे। इन परिवारों के छह करोड़ वरिष्ठ नागरिक इस योजना के अंतर्गत मुफ्त इलाज करा सकेंगे। दरअसल वर्ष 2018 में शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना में अब तक केवल गरीब परिवार ही शामिल हो सकते थे, जिन्हें पांच लाख का कैशलेस कवर दिया जाता था। अब इस योजना का लाभ सभी बुजुर्गों को दिया जाएगा। बहुत संभव है कि इस समय जब कुछ राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है तो इस घोषणा के राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा हो सकती है। लेकिन भाजपा ने 2024 में लोकसभा चुनाव के लिये जारी घोषणापत्र में वायदा किया था कि सरकार बनने के बाद आयुष्मान भारत योजना के दायरे को बढ़ाकर इसमें सभी वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जाएगा। अब चाहे उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। अब इस योजना के तहत उन्हें अलग से कार्ड जारी किए जाएंगे।
निश्चित रूप से देश में सामाजिक रूप से तेजी से बदलाव आ रहा है। संयुक्त परिवारों की जगह अब एकल परिवार ले रहे हैं। बच्चे सीमित संसाधनों व अन्य कारणों से अपने बुजुर्ग माता-पिता का पूरी तरह ख्याल रखने में सक्षम नहीं दिखते। ऐसे में वृद्धों के लिये यह कदम सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि जो कमजोर वर्ग के वरिष्ठ नागरिक आयुष्मान भारत योजना का लाभ ले रहे थे, उन्हें पांच लाख रुपये टॉप-अप कवर मिल सकेगा। वहीं योजना के विस्तार में प्रावधान है कि यदि परिवार में 70 साल के दो बुजुर्ग हैं तो इस योजना का लाभ उन्हें साझा रूप में मिलेगा। वहीं दूसरी ओर सत्तर साल से अधिक उम्र के वे वरिष्ठ नागरिक जो पहले ही केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं तथा दूसरी सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, वे अपनी पुरानी योजना या नई योजना का विकल्प चुन सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस योजना का व्यय केंद्र व राज्य सरकारें मिल कर उठाती हैं। वरिष्ठ नागरिक इस योजना का लाभ निजी व राजकीय अस्पतालों में ले सकते हैं। वहीं सरकार की ओर से बताया गया है कि जो सत्तर साल से अधिक के नागरिक प्राइवेट बीमा योजना या फिर राज्य कर्मचारी बीमा योजना का लाभ ले रहे हैं, वे भी नई योजना का लाभ लेने के अधिकारी होंगे। लेकिन उन्हें इस योजना के लिये आवेदन करना होगा। सरकार ने फिलहाल इस योजना के लिये करीब साढ़े तीन हजार करोड़ का बजट रखा है और आवश्यकता पड़ने पर बजट बढ़ाने की बात कही है। बहरहाल, इस योजना से जहां एक ओर वारिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी, वहीं सरकारी अस्पतालों पर भी दबाव कम होगा, क्योंकि लाभार्थी निजी अस्पतालों में भी योजना का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन जरूरी है कि मरीजों को किसी परेशानी से बचाने के लिये सरकार क्लेम सेटलमेंट के लिये पारदर्शी व्यवस्था लागू करे। बेहतर होगा कि सरकार इस योजना की विसंगतियों व जमीनी हकीकत का आकलन कर इस योजना को प्रभावी बनाने का प्रयास करेगी। विगत में निजी अस्पतालों में बिलों की विसंगतियों को लेकर खबरें सामने आती रही हैं।