सिंगापुर, 13 सितंबर (एजेंसी)
पोप फ्रांसिस ने शुक्रवार को सिंगापुर के युवाओं से कहा कि अंतर-धार्मिक संवाद के लिए साहस की जरूरत होती है क्योंकि इसका मतलब खुद को आलोचना का सामना करने के लिए तैयार रखना है।
पोप ने सिंगापुर की अपनी यात्रा के अंतिम दिन कैथोलिक जूनियर कॉलेज के युवाओं के साथ एक अंतर-धार्मिक बैठक के दौरान कहा, ‘क्या आलोचना करने का आप में साहस है और क्या इसके साथ-साथ आप अपनी आलोचना किये जाने की अनुमति देंगे?’ पोप ने कहा कि युवाओं के बीच संवाद समुदाय में व्यापक स्तर पर नागरिकों के बीच बातचीत को बढ़ावा देगा। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि आलोचना रचनात्मक या व्यवधान डालने वाली हो सकती है और युवाओं को आलोचना करने के दौरान विभिन्न धर्मों के लोगों का सम्मान करना चाहिए।
एक कार्यक्रम में पोप ने युवाओं से साहसी और रचनात्मक बनने तथा अंतर-धार्मिक सौहार्द के विषय पर बातचीत में सक्रिय भागीदारी करने के लिए अपने सुविधानुकूल माहौल से बाहर निकलने की अपील की। पोप ने पादरियों के ठहाकों के बीच कहा, ‘एक युवा व्यक्ति जो अपने सुविधानुकूल माहौल में रहता है और सुविधापूर्ण जीवन जीना चाहता है वह मोटा हो जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘मोटापे से ग्रसित न हों, बल्कि अपने मस्तिष्क में नये-नये विचार आने दें। और इसके लिए मैं कहूंगा, जोखिम उठाइए। बाहर निकलिए। डरिये नहीं।’