जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 13 सितंबर
आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरकर कांग्रेस के गले में फांस बने अम्बाला शहर के 2 असंतुष्ट नेताओं में एक पूर्व विधायक जसबीर मलौर को मनाने की कोशिशें फिलहाल सफल होती नहीं दिख रही, जबकि दूसरे युवा नेता हिम्मत सिंह से अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह अथवा किसी अन्य ने कोई संपर्क नहीं किया है।
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी निर्मल सिंह जसबीर मलौर को मनाने उनके निवास पर पहुंचे। दोनों नेताओं में काफी देर तक बातचीत भी हुई। निर्मल सिंह ने पार्टी के निर्णय की दुहाई देकर कांग्रेस को एकजुट होकर जिताने का आग्रह भी किया।
बताया गया है कि बातचीत के दौरान पूर्व विधायक जसबीर मलौर ने निर्मल सिंह को स्पष्ट रूप से कोई आश्वासन नहीं दिया बल्कि यही कहा कि उन्होंने 14 सितंबर को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई हुई है। बैठक में जैसा निर्णय कार्यकर्ता लेें, वे उसी पर अमल भी करेंगे, क्योंकि वे कार्यकर्ताओं से बंधे हैं और उनकी भावनाओं का अनादर नहीं कर सकते। जानकारी के अनुसार, अम्बाला शहर से कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह और जसबीर मलौर के बीच हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है। दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं, जब नग्गल विधानसभा होती थी दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं। उसके बाद 2019 से पहले जसबीर मलोर कांग्रेस में आ गए थे और अम्बाला कैंट से निर्मल सिंह का टिकट कट गया था तो निर्मल सिंह ने इसका विरोध जताया और अम्बाला शहर से आजाद मैदान में उतर गए थे। इस बार विरोध में जसबीर मलौर हैं और आजाद मैदान में उतर गए। मलौर खेमे को रंज है कि अब पार्टी निर्णय की दुहाई देने वाले निर्मल सिंह ने 2019 में पार्टी का निर्णय क्यों नहीं माना था और अब उनकी बेटी अम्बाला छावनी से पार्टी निर्णय के खिलाफ आजाद चुनाव मैदान में क्यों उतर रही हैं।
वहीं दूसरे आजाद नामांकन करने वाले युवा कांग्रेस नेता हिम्मत सिंह के खेमे से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें निर्मल सिंह ने स्वयं अथवा किसी अन्य ने कोई संपर्क नहीं साधा। वह आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़ने का पक्का फैसला ले चुके हैं। दोनों नेताओं के नजदीकी लोगों की माने तो दोनों ही नेता आज भी आगे की रणनीति के लिए कार्यकर्ताओं से बैठकें करने में व्यस्त रहे।
मलौर द्वारा 14 को बुलाई गई बैठक में भी मात्र औपचारिकता ही पूरी की जानी है। पुरानी प्रतिद्वंद्विता के कारण चुनाव मैदान से हटने की संभावनाएं काफी कम ही हैं। ऐसे हालातोंं में अम्बाला शहर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को जीत लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।