अम्बाला शहर, 14 सितंबर (हप्र)
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए दोपहर का भोजन बनाने वाली वर्कर्स ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि 10 साल में भाजपा सरकार ने उनकी एक भी मांग को पूरा नहीं किया है। आज शिक्षा सदन में बैठक के बाद प्रधान ललिता व सचिव सोनिया ने कहा कि खाना बना रही सभी महिलाएं गरीब वर्ग से आती हैं। उन्हें केवल 7 हज़ार रुपए महीना मेहनताना मिलता है। वह भी समय पर नहीं मिलता। अभी भी पिछले 3 महीने से वर्कर्स को वेतन नहीं मिला है। जिले में कई स्कूल तो ऐसे है जिन्हें 5 व 6 महीने से वेतन नहीं मिला। उन्होंने वेतन की मांग को लेकर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा। बीईओ ने जैसे ही 1 महीने का वेतन जल्द देने की बात कही तो वर्कर्स ने इस पर अपना विरोध दर्ज करवाया।
यूनियन नेताओं ने कहा कि स्कूल में एक ही छत के नीचे काम करने वाले प्रिंसिपल से लेकर फोर्थ क्लास तक के कर्मचारी को एक साल में पूरे 12 महीने का वेतन मिलता है परंतु मिड डे मील वर्कर्स ही ऐसी हैं जिन्हें 10 महीने का वेतन मिलता है। नेताओं ने कहा कि सरकार ने उन्हें न तो सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया और न ही नौकरी को पक्की किया। उल्टे कम छात्र संख्या के नाम पर हजारों स्कूलों को बंद कर महिलाओं का रोजगार छीन लिया है। इसलिए विधानसभा चुनावों में मिड डे मील वर्कर्स भाजपा को करारा जवाब देंगी। वर्कर्स को सीआईटीयू नेता सतीश सेठी व रोडवेज कर्मियों के नेता इंद्र सिंह बधाना ने भी संबोधित किया।