ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 15 सितंबर
हिमाचल को 13 सालों बाद बीबीएमबी प्रोजेक्टों में हिस्सेदारी की बकाया करोड़ों की रकम मिलने की उम्मीद जगी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल को इस मामले में पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के मध्य सामंजस्य स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। तीनों ही राज्यों के सहमत होने पर मामले की 23 अक्तूबर को होने वाली सुनवाई में हिमाचल के लिए राहत भरी खबर आने की उम्मीद है। तीनों ही राज्यों के बीच सामंजस्य स्थापित होने की स्थिति में कमजोर आर्थिक स्थिति वाले हिमाचल के खजाने में 4500 करोड़ की रकम आएगी।
हिमाचल बीबीएमबी प्रोजेक्टों में पंजाब पुनर्गठन कानून के तहत 7.19 हिस्सेदारी मांग रहा है। सालों तक बातचीत से मुद्दा न सुलझने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार हिस्सेदारी के बकाया को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी। सर्वोच्च अदालत में करीब डेढ़ दशक तक लंबी कानूनी जंग के बाद फैसला 2011 में हिमाचल के पक्ष में आया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद पंजाब व हरियाणा से बीबीएमबी प्रोजेक्टों में हिमाचल के हिस्से को रकम नहीं मिली है। राज्य के बिजली इंडजीनियरों ने हिस्सेदारी की रकम का गणना की है।
जानकारी के मुताबिक बीते 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने हिमाचल का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा। सुप्रीम कोर्ट की नई खंडपीठ के बीच हिमाचल सरकार की दो दलीलों को लेकर सहमति देखी गई है। ये दलीलें 1300 करोड़ यूनिट बिजली देने और इसका 15 साल में भुगतान प्रक्रिया से जुड़ी हैं। मामले की आगामी सुनवाई अब 23 अक्तूबर को रखी गई है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने अपने ऊर्जा सलाहकार रामसुभग सिंह को इस मामले में सक्रिय रूप से काम करने के निर्देश दिए हुए हैं। र