चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान हुई गलतियां रोगी के लिए बड़ी परेशानी बन सकती हैं। इस प्रोसेस में सावधानी जरूरी है। मरीज को कई सुरक्षा जोखिम व चुनौतियां हैं जैसे गलत डायग्नोसिस, गलत दवाई व स्वास्थ्य देखभाल में कोताही। इलाज में हुई असावधानी और बड़ी बीमारी का शिकार भी बना देती है। विश्व रोगी सुरक्षा दिवस का उद्देश्य इसी मोर्चे पर लोगों को जागरूक करना है।
डॉ. मोनिका शर्मा
मारी से बचाव के मोर्चे पर ही नहीं, बीमार व्यक्ति के इलाज को लेकर भी जन जागरूकता जरूरी है। ट्रीटमेंट की प्रक्रिया के दौरान मरीज की सुरक्षा को लेकर सजग रहने की भी दरकार होती है। दुनियाभर में रोगियों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही हर साल ‘ विश्व रोगी सुरक्षा दिवस’ मनाया जाता है जो बीते कल ही मनाया गया। यह दिन सेहत की संभाल के प्रति आम लोगों की प्रतिबद्धता को मजबूती देने का भी काम करता है।
जागरूकता है जरूरी
बीमारी से जूझ रहे इंसान और उसके परिजनों के लिए इलाज में मिली लापरवाही से बड़ी पीड़ा क्या हो सकती है? कई बार तो मेडिकेशन और मेडिकल केयर के दौरान हुई गलतियां रोगी के लिए जानलेवा तक हो जाती हैं। दुनियाभर में ऐसे मामले देखने को मिलते हैं। हर साल 17 सितंबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे का उद्देश्य इसी मोर्चे पर लोगों को जागरूक करने का है। कभी गलत दवाई तो कभी स्वास्थ्य संभाल में की गई कोताही। इलाज में हुई असावधानी और बड़ी बीमारी का शिकार भी बना देती है। साल 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। इस दिन मेडिकेशन सेफ्टी सॉल्यूशन और टेक्नीकल प्रोडक्ट्स भी लांच किए जाते हैं। यह दिवस चिकित्सा सेवाओं को सुरक्षित और अनुशासित बनाने का संदेश देता है।
पहले पड़ाव पर ही चौकसी
‘वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे’ का इस वर्ष का बेहद विषय खास है। यह रोगियों की सुरक्षा को लेकर अवेयरनेस लाने से ही नहीं इलाज की बेहतरी से लिए पहले ही पड़ाव पर सजग रहने की बात भी लिए हैं। वर्ष 2024 की थीम ‘इम्प्रूविंग डाइग्नोसिस फॉर पेशेंट सेफ़्टी’ है जिसका नारा ‘इसे सही करें, इसे सुरक्षित बनाएं’ है। यह विषय रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य जांच परिणामों में सुधार लाने के साथ ही सही और समय पर निदान के आवश्यक पहलू पर प्रकाश डालता है। कई बार बीमारी डाइग्नोस होने में भी गलतियां हो जाती है। लंबा उपचार लेने के बाद पता चलता है कि वे किसी और ही व्याधि से जूझ रहे हैं। ऐसे में इस साल का विषय इलाज के पहले ही कदम पर सजगता सुनिश्चित करने का आह्वान करता है। असल में डाइग्नोसिस की प्रक्रिया से बीमारी का पता चलना ही आवश्यक देखभाल और सही उपचार तक पहुंचने की कुंजी है। जांच में गलती से बचने के लिए रोगी और डायग्नोस्टिक टीम के बीच सही संवाद जरूरी है। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े संगठनों और कार्यकर्ताओं में भी ज़िम्मेदारी आवश्यक है।
सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा
डब्लूएचओ के मुताबिक असुरक्षित मेडिकल केयर का खामियाजा हर साल लाखों लोगों को उठाना पड़ता है। इसमें गलत दवा से होने वाले नुकसान के मामले सबसे ज्यादा हैं। साथ ही मरीजों को दवाएं लिखते, देते या उनकी निगरानी के दौरान होने वाले गलत मेडिकेशन के केसेस भी काफी होते हैं। दरअसल, रोगियों की सुरक्षा के मामले में अनुशासन बहुत सी परेशानियों को टालता है। चिकित्सा से जुड़ी त्रुटियां दुनिया भर में हर 10 रोगियों में से 1 को प्रभावित करती हैं। ऐसे मामले हुए भी हैं कि छोटी सी बीमारी का इलाज करवाने की प्रक्रिया में मरीज और घातक व्याधि का शिकार बन गया। इलाज के पहले ही पड़ाव पर बीमारी की सही जानकारी मिलना जरूरी है। डाइग्नोसिस की प्रक्रिया में सजग रहना व्याधि की सही जानकारी और इलाज दोनों के लिए आवश्यक है। समझना मुश्किल नहीं कि इस फ्रंट पर भी मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों, मरीज के परिजनों और परिवेश का सहयोग आवश्यक है।