रेवाड़ी, 18 सितंबर (हप्र)
हिंदी पत्रकारिता तथा साहित्य में अनूठा योगदान देने वाले क्रांतिकारी क़लमकार बाबू बालमुकुंद गुप्त राष्ट्रीयता के अग्रदूत थे, इसलिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ये विचार इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर जेपी यादव ने बुधवार को बाल भवन में व्यक्त किए। वे यहां बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद तथा महाराणा प्रताप जयंती समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। समारोह की अध्यक्षता परिषद के संरक्षक नरेश चौहान ने की। प्राचार्य जवाहरलाल दुहन तथा वरिष्ठ पत्रकार केबी पंडित के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित इस समारोह में गुप्त जी के प्रपौत्र बिमल गुप्त ने स्वागताध्यक्ष तथा हेमंत सिंहल ने समारोह संयोजक की भूमिका निभाई। समारोह में बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार, पुस्तक लोकार्पण तथा विचार गोष्ठी मुख्य आकर्षण रहे। मुख्यातिथि प्रोफेसर यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में बाबू बालमुकुंद गुप्त पीठ के अंतर्गत गुप्त जी पर शोध कार्य तथा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नरेश चौहान ने हिंदी भाषा, साहित्य तथा पत्रकारिता की क्षेत्र में गुप्त जी के योगदान को हर कलमकार के लिए प्रेरक बताया। वहीं विशिष्ट अतिथि प्राचार्य जवाहरलाल दुहन ने उन्हें देशभक्त कलमकार करार दिया। वरिष्ठ पत्रकार केबी पंडित ने गुप्त जी को निर्भीक पत्रकार तथा कुशल संपादक बताया।
समारोह में दिवंगत रचनाकार नैरंग सरहदी को बाबू बालमुकुंद गुप्त कोहेनूर सम्मान से अलंकृत किया गया, जिसे उनके शिष्य साहित्यकार विपिन सुनेजा ने ग्रहण किया। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान (हिसार), राजेंद्र यादव (दौसा, राजस्थान), मास्टर राम अवतार (महेंद्रगढ़) तथा विजयपाल सेहलंगिया को बाबू बालमुकुंद पुरुस्कारों से नवाजा गया। ये सभी पुरस्कार गुप्त जी के प्रपौत्र विमल गुप्त के सौजन्य से प्रदान किए गए। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार विपिन सुनेजा, सत्यवीर नाहड़िया, रौनक हरियाणवी, दलबीर, मास्टर राम अवतार तथा शुभराम शास्त्री खालेटा की नव प्रकाशित कृतियों का लोकार्पण किया गया।
समारोह में दूरदराज से पधारे साहित्यकारों व स्थानीय रचनाकारों के अलावा परिषद के आजीवन सदस्यों, केएलपी कॉलेज के पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों तथा करीब दो दर्जन उन शिक्षण संस्थाओं के मुखियाओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने हिंदी सप्ताह के अंतर्गत गुप्त जी पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन किया। परिषद महासचिव डॉ प्रवीण खुराना ने शाब्दिक अभिनंदन तथा परिषद् अध्यक्ष ऋषि सिंहल ने वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चंद्र त्रिखा का संदेश रखते हुए परिषद के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया के संचालन में आयोजित इस समारोह में गुरुग्राम, झज्जर, हिसार, महेंद्रगढ़ तथा रेवाड़ी के साहित्यकारों ने भाग लिया। परिषद् की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रमेश चंद्र शर्मा,श्यामबाबू गुप्त, चंद्र गुप्त,अरुण गुप्ता, श्रुति शर्मा, हर्ष कुमार, मुकुट अग्रवाल, मुकेश जांगड़ा, योगेश कौशिक, सचिन अग्रवाल, यतिन हरियाणवी ने विभिन्न प्रभार संभाले। समारोह संयोजक हेमंत सिंहल ने सभी का आभार जताया। इस अवसर पर जिला बाल कल्याण अधिकारी वीरेंद्र यादव, प्रोफेसर सुभाष शर्मा, डा. रोमिका बत्रा, प्राचार्य जयसिंह खोला, रामचंद्र यादव, अजीत सिंह, संदीप गोयल, दर्शना शर्मा, राजेश भुलक्कड़, अहमना मनोहर, दशरथ चौहान, डा. रामौतार, अनंगपाल चौहान, राजपाल यादव, राजेश प्रभाकर, भूपसिंह भारती, अधिवक्ता रंजीत सिंह, डॉ दलबीर यादव आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।