शिक्षकीय दायित्वों का निर्वहन करने वाली कृष्णलता यादव के रचनाकर्म की एक विशेषता यह रही है कि वे निरंतर जीवन के सकारात्मक पक्ष में खड़ी नजर आई हैं। उनकी लघुकथा, कविता, व्यंग्य, निबंध व नवगीत आदि 19 पुस्तकों में यही दृष्टि नजर आती है। समीक्ष्य कृति ‘मन का सरिता हो जाना’ में संकलित 31 रचनाओं में जीवन का उज्ज्वल पक्ष प्रकट होता है। एक आदर्श समाज और जीवन की जरूरी सोच को ये रचनाएं उजागर करती हैं।
पुस्तक : मन का सरिता हो जाना रचनाकार : कृष्णलता यादव प्रकाशक : आनन्द कला मंच, भिवानी पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 300.