नयी दिल्ली, 21 सितंबर (एजेंसी)
भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमता में पर्याप्त बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल और इस क्षेत्र में दिख रहे भू-राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में लिया गया है।
चार दिवसीय सम्मेलन में कमांडरों को संबोधित करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने तटरक्षक बल और अन्य समुद्री एजेंसियों के साथ घनिष्ठ तालमेल एवं कार्यात्मक संबंधों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और तट की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सतर्कता बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित किया। नौसेना के अनुसार, एडमिरल ने नौसेना मुख्यालय में कमांड और कर्मचारियों से आह्वान किया कि वह एक संतुलित बहुआयामी और निर्बाध नेटवर्क आधारित सेना के रूप में विकसित करना जारी रखें। नौसेना प्रमुख ने समकालीन भू-रणनीतिक परिदृश्य के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र में उभरती रणनीति पर प्रकाश डाला। कमांडरों ने आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के प्रति भी अटूट प्रतिबद्धता जताई। भारतीय बंदरगाहों में फिलहाल 64 पोत और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं और 24 अतिरिक्त मंचों के निर्माण का आदेश दिया गया है।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजी से बदल रहे वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर कमांडरों से अपील की कि वह किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहें। उन्होंने भारत की समग्र नौसैनिक शक्ति बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। कमांडरों ने लाल सागर और आसपास के क्षेत्रों से जुड़ी समग्र स्थिति पर चर्चा की।