गुरुग्राम, 23 सितंबर (हप्र)
खेल में एक खिलाड़ी या तो जीतता है या फिर सीखता है। वह कभी हारता नहीं। ये शब्द हैं पैरालंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल लेकर आये जेवलिन थ्रोअर नवदीप सिंह के। वह आज सैक्टर 15 स्थित श्रवण एवं वाणी नि:शक्त जनकल्याण केंद्र की 54वीं वर्षगांठ और अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा सप्ताह के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।
पिछले दिनों पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में भारत ने 29 पदक हासिल किए थे, जिनमें सात स्वर्ण पदक शामिल थे। उन्हीं में से एक गोल्ड मेडल नवदीप सिंह के नाम रहा, जिन्होंने भालाफेंक में स्वर्णिम सफलता अर्जित की थी। नीरज चोपड़ा के ही गृह जिला पानीपत के गांव लाखु बुआना के रहने वाले नवदीप सिंह ने आज गुरुग्राम में मूक-बधिर बच्चों के स्कूल में आयोजित समारोह में शिरकत की कर दिव्यांग विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि आप अपने आप को सामान्य इंसानों से अलग न समझें। अपने आप को स्पेशल मानते हुए जिंदगी में आगे बढ़ें और अपनी प्रतिभा को निखारें। धैर्य बनाए रखें और अपना मुकाम हासिल करें। केंद्र की सहायक निदेशक डा. सीमा ने बताया कि हरियाणा के पूर्व राज्यपाल डा. बीएन चक्रवर्ती ने 23 सितंबर, 1971 को इस मूक-बधिर स्कूल की आधारशिला रखी थी। नवदीप सिंह ने संस्था के होनहार बच्चों को सम्मानित किया।
इस अवसर पर श्रवण एवं मूक-बधिर स्कूल के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया।