समराला, 24 सितंबर (निसह)
पंजाबी साहित्य सभा श्री भैणी साहिब की मासिक बैठक में दूर-दराज़ की साहित्य सभाओं से जुड़े साहित्यकारों ने रचनाएं प्रस्तुत कर बैठक में साहित्यिक रंग जमा दिया। इस अवसर पर पंजाबी कहानीकार तेलू राम कुहाड़ा द्वारा प्रस्तुत कहानी ‘कागज़ पर छपी ऐनक’ उपस्थित साहित्यकारों के समक्ष पेश की गई, जिस पर साहित्यकारों ने गंभीर चर्चा की। लेखकों ने तेलू राम कुहाड़ा की लेखनी की प्रशंसा करते हुए कहानी को एक गंभीर रचना करार दिया।
मालवा लिखारी सभा संगरूर से मूल चंद शर्मा और भैणी साहिब के जगवीर सिंह विक्की समेत अन्य लेखकों ने अर्थपूर्ण और भावपूर्ण गीत, कविताएं और ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। पंजाबी साहित्य सभा श्री भैणी साहिब के अध्यक्ष गुरसेवक सिंह ढिल्लों, तेलू राम कुहाड़ा और ग़ज़लकार सरदार पंछी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक की शुरुआत में सभा में पहली बार मालवा लिखारी सभा संगरूर के 7 सदस्य उपस्थित हुए। इनमें करम सिंह ज़ख़्मी, मूल चंद शर्मा, सुखविंदर सिंह लोटे, रजिंदर सिंह राजन, बहादुर सिंह धौला, पवन कुमार, और नायब सिंह बघौर का स्वागत किया गया।
बैठक में सभी लेखकों ने मातृभाषा पंजाबी के विकास और प्रचार के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया। लेखकों ने कहा कि सरकारें आईं और गईं, लेकिन अपनी ही मातृभाषा को उचित सम्मान और दर्जा नहीं मिल पाया। रचनाओं के दौरान तेलू राम कुहाड़ा, प्रसिद्ध ग़ज़लकार सरदार पंछी, गीतकार हरबंस मालवा, कमलजीत सिंह नीलों, अवतार सिंह ओटालां (संरक्षक सांझी सभा), दलवीर कलेर, सरबजीत सिंह सोनू, गुरसेवक सिंह ढिल्लों, जगवीर सिंह विक्की, हरबंस सिंह राय, बलवंत सिंह विर्क, जगतार राईयां, सुरजीत सिंह ‘विशाद’, बलबीर सिंह बब्बी, हरबंस सिंह शान बगली, जगमोहन सिंह कंग टमकौदी, जोरावर सिंह पंछी, नेत्र सिंह मत्तों, जगपाल सिंह जग्गा जमालपुरी, अमरजीत कौर मोरिंडा, गुरबाग सिंह राईयां, लखवीर सिंह लब्बा, जगदेव सिंह बाघा, जगदेव सिंह मकसूदड़ा, मनजीत सिंह रागी, पप्पू बलबीर आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। बैठक का संचालन जगवीर सिंह विक्की और तरन सिंह बल्ल ने किया। गुरसेवक सिंह ढिल्लों ने आए हुए साहित्यकारों का धन्यवाद किया।