राजपुरा, 24 सितंबर (निस)
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने आज कहा कि पूर्व एसजीपीसी अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहड़ा की शिक्षा को अपनाना और दिवंगत नेता के बलिदान की भावना को आत्मसात करना समय की मांग है। पूर्व एसजीपीसी अध्यक्ष की 100वीं जयंती के अवसर पर पटियाला में आयोजित एक समागम में बोलते हुए अकाली दल के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि गुरचरण सिंह टोहड़ा के सभी कदम इस बात पर निर्भर करते थे कि वे समुदाय के लिए अच्छे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि दिवंगत नेता ने सिख समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए जीवनभर अथक लड़ाई लड़ी और उन्हें सादगी के प्रतीक के रूप में जाना जाता था।
भूंदड़ ने कहा कि गुरचरण सिंह टोहड़ा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वर्तमान कार्रवाइयों का कभी भी साथ नहीं देते। उन्होंने कहा कि सिखों ने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, देश की आजादी में भी मदद की और आज भी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है और उनके धार्मिक संस्थानों पर हमले हो रहे हैं। उन्होने कहा, हमने श्री हजूर साहिब प्रबंधक बोर्ड पर सरकारी अधिग्रहण के साथ-साथ एसजीपीसी को तोड़कर हरियाणा के लिए एक अलग गुरुद्वारा कमेटी का गठन होते देखा है। सिख संस्थानों को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे पूरे समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।
भूंदड़ ने सुधार लहर गुट सहित सभी अकालियों से एक दूसरे के खिलाफ बोलने के बजाय दिल्ली के खिलाफ बोलने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए दिल्ली का सामना करने की जरूरत है।
इस अवसर पर एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इस बात पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है कि एसजीपीसी ने दिवंगत नेता की 100वीं जयंती मनाने के लिए समारोह क्यों आयोजित किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय संस्था की कार्यकारिणी द्वारा लिया जाता है और समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
इस अवसर पर महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, इकबाल सिंह झूंदा, गुरचरण सिंह ग्रेवाल, एनके शर्मा, गुरप्रीत सिंह राजुखन्ना, अमरिंदर सिंह बजाज, विनरजीत सिंह गोल्डी, सरबजीत सिंह गोल्डी, सरबजीत सिंह झिंझर, सुरजीत सिंह गढ़ी, अमित राठी और जगदीप सिंह चीमा भी मौजूद थे।