रेखा देशराज
फिटनेस को लेकर सजग लोगों के बीच इन दिनों पोस्चर करेक्टर ब्रेस की खूब चर्चा है। यह एक ऐसा बेल्टनुमा उपकरण है, जो हमारे शरीर की खराब मुद्रा को कुछ हद तक ठीक करने में मदद करता है। इससे गर्दन, कंधों और पीठ का संरेखण बेहतर बनता है। दफ्तर में बहुत लंबे समय तक गलत मुद्रा में बैठने के कारण होने वाले पीठ और गर्दन के दर्द को कम करने में भी यह थोड़ी मदद करता है। वैसे, मुख्यतः इसे हमारी खराब मुद्रा को ही बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। कठोर प्लास्टिक या धातु के फ्रेम से बना यह उपकरण उन लोगों की पीठ और कंधों के चारों ओर से कसकर रखता है, जिनकी लगातार डेस्क पर झुककर बैठने के कारण कमर और कंधे आगे की तरफ लचक गए होते हैं। इस पोस्चर करेक्टर ब्रेस में खूब सारी पट्टियां होती हैं, जो सिर के ऊपर से आकर कमर को चारों तरफ से कसती हैं।
बचपन में हमारे मां-बाप, बड़े बुजुर्ग और स्कूल टीचर अक्सर हमें ‘सीधे बैठो’ या ‘अपने बैठने की मुद्रा को ठीक करो’ जैसी हिदायतें देते रहते थे। हकीकत यह है कि वे लोग बिल्कुल सही कह रहे होते हैं। अक्सर हमारे बैठने के गलत तरीके की आदत बचपन में ही पड़ जाती है। अगर हम बचपन में इस बात को समझ लें कि कुर्सी में झुककर बैठना हमारी शारीरिक मुद्रा के लिए बहुत खराब आदत है, तो आगे चलकर हमें इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो शरीर के बिगड़े हुए पोस्चर की समस्या होती है। वास्तव में, लगातार कुर्सी में आगे झुककर बैठने या घंटों लैपटॉप या किताबों में झुककर लिखने, पढ़ने आदि से हमारे बैठने का ढंग धीरे-धीरे गलत हो जाता है। लगातार आगे की तरफ झुके रहने के कारण हमारी कमर सीधी नहीं रह पाती, जबकि स्वस्थ रहने के लिए कमर का सीधा होना बहुत जरूरी है।
लगातार गलत मुद्रा में बैठने के कारण बचपन में तो ज्यादा परेशानी नहीं महसूस होती, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, सिरदर्द, कमर दर्द, जोड़ों में अकड़न और गर्दन में खिंचाव जैसी परेशानियां घेर लेती हैं। यह समस्या आजकल ज्यादातर समय कंप्यूटर और लैपटॉप में काम करने के कारण इतनी बढ़ चुकी है कि हर चौथा कामकाजी व्यक्ति गलत पोस्चर की शारीरिक समस्याओं का शिकार है। इस समस्या से बचाव के लिए और किसी हद तक बिगड़ चुके पोस्चर को सही करने के लिए बाजार में कई तरह के उपकरण सामने आए हैं, जिनमें इन दिनों सबसे ज्यादा लोकप्रिय पोस्चर करेक्टर ब्रेस है। यह वास्तव में ‘चेस्ट कोट’ या जैकेटनुमा होता है। इसके पहनने से कमर से लेकर छाती तक का हिस्सा सीधा या सटकर रहता है। हालांकि, नेक ब्रेस यानी गर्दन में पहने जाने वाले पट्टे से तो हम बहुत लंबे समय से परिचित हैं, जो गर्दन के लिए वही काम करता है, जो कमर के लिए पोस्चर ब्रेस करता है।
यूं तो शरीर के और भी हिस्सों को गलत मुद्राओं के चलते जो परेशानियां पैदा हो रही हैं, उनसे बचाव के लिए अब बाजार में कई तरह के ब्रेसेज आ गए हैं। लेकिन कंधों से लेकर कमर तक को सीधा रखने का सबसे स्मार्ट उपकरण इस समय बाजार में यही पोस्चर करेक्टर ब्रेस है। इसकी पूरी दुनिया में खूब मांग है। इससे मदद भी मिल रही है। लेकिन सिर्फ इसके भरोसे रहने से ज्यादा फायदा नहीं होता। इसका इस्तेमाल करते हुए जब हम लगातार खुद भी दिन के ज्यादातर समय कमर सीधी करके बैठने की कोशिश करते हैं, नियमित एक्सरसाइज और सोने की मुद्रा पर भी ध्यान रखते हैं, तो कहीं जाकर गलत मुद्रा के असर से बच पाते हैं। वैसे, जहां इस तरह के ब्रेस के कई फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। इसलिए जानकार कहते हैं कि प्राकृतिक तरीके से ही कमर को सीधा रखा जाए तो ज्यादा बेहतर है। मगर इस निष्कर्ष से भी सभी जानकार एकमत हैं कि यह ब्रेस जिस तरह से हमारे कंधों को पीछे की तरफ खींचकर रखता है, उससे फर्क तो पड़ता है। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने में यह वाकई मददगार है। इससे मांसपेशियों और जोड़ों पर तनाव भी कम रहता है।
यहां तक कि कुछ सावधानियों के साथ इस पोस्चर करेक्टर ब्रेस को हम बिस्तर पर भी पहने रख सकते हैं। इससे रात में सोते समय सही मुद्रा में बने रहने में मदद मिलती है। रात में टेढ़ा-मेढ़ा होकर सोने में जो हमारी कमर को परेश्ाानी होती है, उससे हम बच जाते हैं। लेकिन इसे पहनकर सोने के कई जोखिम भी हैं। इसलिए अव्वल तो पोस्चर ब्रेस के साथ सोने से बचना चाहिए, और अगर शरीर की बेहतरी के लिए पहनकर सोएं तो न सिर्फ सजग रहने की जरूरत है, बल्कि सही गद्दा और सही तकिया भी चुनना चाहिए।
इ.रि.सें.