मंडी, 25 सितंबर (निस)
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चौधरी श्रवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय की जमीन को पर्यटन विभाग को स्थांतरित करने की प्रक्रिया पर न्यायालय द्वारा स्टे लगाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार को अपनी जिद छोड़नी चाहिए।
कृषि विश्वविद्यालय को कृषि से जुड़े शिक्षण प्रशिक्षण और शोध कार्य ही करने देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल टीचर्स एसोसिएशन का भी आभार जताया कि उन्होंने सरकार की मनमानी को रोकने के लिए न्याय प्रक्रिया का सहारा लिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यूनिवर्सिटी के पास मात्र 400 हेक्टेयर जमीन थी जिसमें से पहले ही 125 हेक्टेयर जमीन विभिन्न भागों को आवंटित कर दी गई है। अब यूनिवर्सिटी के पास मात्र 275 हेक्टेयर जमीन ही बची हुई है। कृषि विश्वविद्यालय के लिहाज से यह जमीन कोई बहुत ज्यादा नहीं है जिस पर सरकार की नजरें टेढ़ी हुई हैं। दुनिया भर के कृषि संस्थानों में इसी तरह हजारों हेक्टेयर ज़मीने होती है।
जिस पर यूनिवर्सिटी के छात्र, प्रशिक्षु, शोधार्थी और प्राध्यापक मिलकर और अलग अलग अपने शोध कार्य करते रहते हैं। जिससे कृषि उत्पादन के क्षेत्र में नई-नई उपलब्धियां हासिल होती हैं और मानवता का भी भला होता है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार टूरिज्म विलेज बनाना चाहती है तो बनाए, हम उसका स्वागत करते है लेकिन कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए संस्थानों में इस तरह का प्रयोग हम नहीं करने दे सकते हैं। जयराम ने कहा कि सुक्खू सरकार टूरिस्ट विलेज के लिए कहीं और जमीन की तलाश करेे। सरकार भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने में कृषि विश्वविद्यालयों के योगदान को ध्यान में रखें।