चंडीगढ़, 26 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों का ध्यान दलितों पर केंद्रित हो गया है। यहां तक की हरियाणा दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी दलितों का एजेंडा टॉप पर रहा है। भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेर रही है तो कांग्रेस इस मुद्दे पर अपने कार्यकाल का उपलब्धियां बता रही है। इनेलो-बसपा गठबंधन तथा जेजेपी-असपा गठबंधन भी कांग्रेस व भाजपा को निशाना बनाकर खुद को दलित हितैषी साबित कर रहे हैं। बीती 13 सितंबर को कांग्रेसी सांसद कुमारी सैलजा के प्रचार से दूर होने के बाद कुछ दिन तो भाजपा चुप रही लेकिन पिछले एक सप्ताह से भाजपा ने सैलजा के बहाने दलितों का मुद्दा उठाकर कांग्रेस की घेराबंदी कर दी है।
बीजेपी जहां कांग्रेस से दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर सवाल पूछ रही है वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप है। हरियाणा में वर्ष 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के सत्ता में आने के बाद दलितों से जुड़ा गोहाना कांड हुआ। इसके बाद हिसार के गांव में मिर्चपुर कांड हुआ। दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2014 व 2019 के चुनाव में यह मुद्दा नहीं उठा। हालही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान करीब दस वर्ष के बाद दलित समुदाय का वोट बीजेपी से टूटकर पूरी तरह से कांग्रेस की तरफ चला गया था। जिसके बाद से ही हरियाणा में दलितों के मुद्दे चल रहे हैं। सैलजा प्रकरण के बाद प्रदेश में अगर दलित मतदाता फिर से कांग्रेस से छिटके तो पूरा खेल बिगड़ सकता है। 2011 के अनुसार हरियाणा में 20.02 प्रतिशत अनुसूचित जाति है। प्रदेश की 90 में से 17 सीटें आरक्षित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति की संख्या 22.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 15.08 प्रतिशत है। 2024 के लोकसभा चुनावों में लगभग 68 प्रतिशत दलित मतदाताओं ने (कांग्रेस-आप) का समर्थन किया, जो 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आप को मिले थे 68% दलित वोट
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस-आप गठबंधन ने 68 प्रतिशत दलित वोट हासिल किए, जिससे उसे स्पष्ट बढ़त मिली। लेकिन अब जेजेपी-भीम आर्मी और बीएसपी-आईएनएलडी गठबंधन की नजर उन्हीं मतदाताओं पर है, ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल काम होगा। दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए पिछले एक सप्ताह से बीजेपी व अन्य सभी दलों ने पूरा जोर लगा रखा है। इस मुद्दे पर बीजेपी ने हुड्डा सरकार के कार्यकाल में हुई घटनाओं को उछालना शुरू कर दिया है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी समेत तमाम नेता मिर्चपुर व गोहाना कांड लोगों को याद दिलाकर कांग्रेस से जवाब मांग रहे हैं। दलितों की वोट को केंद्र मानकर जेजेपी व आसपा तथा इनेलो व बसपा भी दलित उत्पीड़न की घटनाओं को सामने ला रहे हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस बैकफुट पर है। कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर किसी तरह का पलटवार करने की बजाय चुप होकर अन्य मुद्दों पर बीजेपी को घेर रहे हैं।