लोकमित्र गौतम
वर्ष 2023 में विश्व पर्यटन उद्योग लगभग 11.39 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का था, यानी अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। जबकि साल 2024 से 2032 के बीच लगभग 5.5 फीसदी की वार्षिक वृद्धि से बढ़ता हुआ इसका आकार 18.44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने की संभावना है, यानी तब इसका आर्थिक आकार आज के चीन से भी बड़ा होगा। इतने बड़े आर्थिक आकार वाला कोई उद्योग अगर खुद की एक विश्व व्यवस्था का सपना देखता है, तो इसे शेखचिल्ली का सपना तो नहीं कह सकते। यही कारण है कि पिछले एक साल से संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) विश्व पर्यटन उद्योग को एक समानांतर विश्व व्यापार संगठन मानते हुए दुनिया के लिए नई-नई व्यापारिक और आर्थिक रणनीतियां सुझाने में व्यस्त है और आगामी विश्व पर्यटन दिवस के पूर्व आयोजित होने वाले पर्यटन संबंधी वैश्विक फोरम में दुनिया के लिए नए एजेंडे को लेकर आ रहा है।
विश्व पर्यटन दिवस से पहले हर साल पर्यटन उद्योग के लिए आयोजित वैश्विक संवाद (ग्लोबल डायलॉग) में इस साल यूएनडब्ल्यूटीओ ने खुद को पर्यटन तक सीमित न रखकर वैश्विक न्याय और शांति की खोज तक अपना विस्तार किया है। इसी सप्ताह अटलांटा, जॉर्जिया में आयोजित डायलॉग के एजेंडे में इस बार विभिन्न सरकारें, नागरिक समाज और स्थानीय समुदाय शामिल हुए। गौरतलब है कि हर साल सितंबर माह में वैश्विक पर्यटन समुदाय अपना ध्यान, सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल ट्रैवल (सीआरईएसटी) के वार्षिक विश्व पर्यटन दिवस फोरम पर केंद्रित करता है। लेकिन इस बार इस समुदाय का मानना है कि पर्यटन की सबसे बड़ी चुनौतियां वास्तव में वैश्विक शांति और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां भी हैं। इसलिए पर्यटन उद्योग, सरकार, नागरिक समाज और स्थानीय समुदायों के बीच इन चुनौतियों के समाधान हेतु विचार-विमर्श की पहल अपने हाथ में लेना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि विश्व पर्यटन दिवस 1980 से प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है। यह तिथि 1970 में संगठन के नियमों को अपनाने की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसने पांच वर्ष बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया था। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन वास्तव में संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जिसका मुख्यालय स्पेन के मैड्रिड में है। यूएनडब्ल्यूटीओ का मकसद ज़िम्मेदार, टिकाऊ, और सार्वभौमिक रूप से सुलभ पर्यटन को बढ़ावा देना रहा है। अब यह आगे बढ़कर आर्थिक विकास, समावेशी विकास, और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए नए ग्लोबल ऑर्डर की पहल करना चाहता है। शायद इसकी जरूरत इसलिए बनती दिख रही है; क्योंकि कोरोना महामारी के बाद ग्लोबल टूरिज्म में कुछ खास तरह की प्रवृत्तियां देखने को मिल रही हैं, मसलन साल 2024 में अब तक ग्लोबल टूरिज्म का जो ट्रेंड देखने को मिल रहा है, उसमें अधिक क्षेत्रीय यात्राएं, नए उभरते यात्री वर्ग और गंतव्यों का एक नया समूह केंद्र में है। साथ ही यह इतना निर्णायक है कि ग्लोबल टूरिज्म में साल 2020 में जो 75 प्रतिशत की तक गिरावट हुई थी, वह गिरावट इस साल यानी 2024 के अंत तक पूरी होने की राह में है। पर्यटन के मौजूदा ट्रेंड से अनुमान लग रहा है कि साल 2030 तक प्रति वर्ष 19 अरब ‘लॉजिंग नाइट्स’ की दरकार होगी। दूसरे शब्दों में, दुनियाभर के होटलों में मौजूदा कमरे दो गुना चाहिए होंगे।
साफ है कि भविष्य का सबसे बड़ा उद्योग पर्यटन उद्योग ही होने वाला है। इसलिए इस साल इस उद्योग की सालाना थीम ‘पर्यटन से न्याय और शांति’ रखा गया है। इस वार्षिक फोरम में विमर्श के अन्य विषय हैं- प्रवास, सामाजिक समानता, जलवायु न्याय, कूटनीति और सांस्कृतिक संरक्षण। विमर्श के ये विषय पर्यटन के प्रभाव की गहन और चिंतनशील जांच तो करते ही हैं, साथ ही पता यह भी चलता है कि उद्योग अपने लिए बड़ी भूमिका चाहता है। ऐतिहासिक रूप से पहली बार 2024 विश्व पर्यटन दिवस फोरम, अपने सामान्य वाशिंगटन, डीसी सेटिंग से आगे बढ़कर बीते सप्ताह अटलांटा, जॉर्जिया में आयोजित हुआ और यह जगह उसकी बड़ी भूमिका के कैम्पेन हेतु बहुत मुफीद थी। क्योंकि इसका संबंध नागरिक अधिकारों और सामाजिक न्याय में अपनी गहरी विरासत से जुड़ता है। पिछले 25 से अधिक वर्षों से दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे का घर होने के साथ-साथ अटलांटा 1996 के ओलंपिक और 2026 के फीफा वर्ल्ड कप के 8 महत्वपूर्ण मैचों का मेजबान है, जिनमें एक सेमीफाइनल का मैच भी शामिल है। इस सबके साथ अश्वेत नागरिक अधिकारों और संस्कृति के ऐतिहासिक गढ़ के रूप में भी अटलांटा को मान्यता प्राप्त है।
इस मंच के जरिए इस बार पर्यटन व्यवसायियों, शोधकर्ताओं और सामुदायिक नेताओं से हासिल सकारात्मक प्रथाओं को एक श्वेतपत्र में ढाल, व्यावहारिक कार्रवाई के योग्य एक ऐसा एजेंडा निर्मित करने की योजना है, जिसमें समानता, कूटनीति, न्याय, शांति और स्थानीय समुदायों के समर्थन वाला लच्छेदार वाग्जाल हो।
यूएनडब्ल्यूटीओ कहना है, ‘हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं, जहां यात्रा से समुदायों और पर्यावरण को लाभ हो, तो न्याय और शांति इस दृष्टि में कैसे फिट नहीं बैठते हैं?’ दो दशकों से अधिक के समर्पित शोध और वकालत के बाद, हमने एक मौलिक सत्य की पहचान की है- टिकाऊ, पुनर्योजी या जिम्मेदार यात्रा – चाहे वह कोई भी शब्द हो – शांति और न्याय के लिए एक मूलभूत प्रतिबद्धता के बिना अप्राप्य है। क्योंकि पर्यटन का प्रभाव सिर्फ आर्थिक लाभ तक ही सीमित नहीं है; यह मानवाधिकार, प्रवास, सभ्यता, सामुदायिक सशक्तीकरण और न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है। इन क्षेत्रों को संबोधित किए बिना, पर्यटन सद्भाव और विकास को बढ़ावा देने के बजाय असमानता और संघर्ष को बढ़ावा देने का जोखिम उठाता है। नतीजतन, पर्यटन या तो शांति को बढ़ावा दे सकता है या अशांति के वाहन के रूप में काम कर सकता है, यह इसके प्रबंधन पर निर्भर करता है।
यूएनडब्लूटीओ के अनुसार, ‘इस तरह देखें तो इन व्यापक संदर्भों में पर्यटन की भूमिका और सबसे अधिक हाशिए पर पड़े समूहों पर इसके प्रभाव की जांच करके, हम न्याय और शांति को बनाए रखने या उसे कम करने की इसकी क्षमता को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। पर्यटन क्षेत्र के लिए इन महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ अधिक गहराई से जुड़ने का समय आ गया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि यात्रा अच्छे के लिए एक शक्ति के रूप में कार्य करती है, सभी के लिए सतत विकास और समान अवसरों का समर्थन करती है।’
इ.रि.सें.