हिसार, 27 सितंबर (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के जैव रसायन विभाग द्वारा ‘मोरिंगा की क्षमता को पहचानना : विश्व स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता के अवसर’ विषय पर 10 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस कार्यशाला में 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें हकृवि के अलावा जीजेयू हिसार, एसकेएनएयू जोबनेर, डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फोरेस्ट्री व उतरांचल यूनिवर्सिटी देहरादून, के विद्यार्थी व वैज्ञानिक शामिल थे। कार्यशाला के समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज मुख्यातिथि रहे। कुलपति प्रो. काम्बोज ने अपने संबोधन में कहा कि मोरिंगा स्वास्थ्य लाभ वाले पोषक तत्वों का एक प्रमुख स्रोत है। मोरिंगा सेहत के लिए वरदान है। इस पौधे के सभी भाग फायदेमंद होते हैं लेकिन इसके पत्ते अधिक गुणकारी होते हैं। मोरिंगा न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि इसे ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। मोरिंगा एक बहुउद्देशीय पौधा है जिसे आहार, औषधीय, औद्योगिक और चारे के उद्देश्य से भी उगाया जाता है। चारे की फसल के रूप में मोरिंगा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि खाद्य पदार्थों के अलावा मोरिंगा का प्रयोग ईंधन, पशु चारा, उर्वरक, सौंदर्य प्रसाधन एवं इत्र में भी किया जाता है। मोरिंगा हीमोग्लोबिन को बेहतर बनाने में मदद करता है। रक्तचाप व कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। लीवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करता है। वजन को घटाने व शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। तनाव, चिंता को कम करता है। थायराइड फंक्शन में सुधार करता है। स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में बढ़ोतरी करता है।
प्रो. काम्बोज ने सभी प्रतिभागियों से इस कार्यशाला का लाभ उठाने के लिए कहा और अलग-अलग विभागों को मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर कुलपति ने प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र व मोरिंगा के पौधे भी वितरित किए। इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग, विभागाध्यक्ष डॉ. जयंती टोकस ने भी संबोधित किया।