खुद भाजपा में पूर्व विधायक जाकिर हुसैन, पुन्हाना व फिरोजपुर-झिरका में मुस्लिम नेताओं को ही दिया टिकटकांग्रेस उम्मीवार व पूर्व परिवहन मंत्री आफताब अहमद को घेरने के लिए चली चाल
फिरोजपुर-झिरका और पुन्हाना की सीटों पर भी दिख रही आमने-सामने की टक्कर
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नूंह, 27 सितंबर
कांग्रेस के प्रभाव वाले नूंह (मेवात) जिला में भाजपा ने विपक्ष के समीकरण बिगाड़ने के लिए पूरी प्लानिंग और मैनजमेंट साथ किया है। नूंह सीट पर जहां राजपूत चेहरे पर दाव लगाते हुए हिंदू कार्ड खेला है।
वहीं पुन्हाना व फिरोजपुर-झिरका में कांग्रेस के मुकाबले मुस्लिम नेताओं को ही टिकट दिया है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि पूर्व विधायक जाकिर हुसैन भाजपा में हैं और उनके पुत्र ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा गठबंधन टिकट पर नूंह से चुनाव लड़ रहे हैं।
जाकिर हुसैन इनेलो छोड़कर भाजपा में आए थे। 2019 में उन्होंने भाजपा टिकट पर नूंह से विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन आफताब अहमद के सामने वे चुनाव हार गए।
जाकिर हुसैन को भाजपा ने वक्फ बोर्ड का चेयरमैन भी बनाया हुआ है।
जाकिर हुसैन की टिकट इस बार भाजपा ने काट दी। उनकी जगह सोहना के मौजूदा विधायक और नायब सरकार में राज्य मंत्री संजय सिंह को नूंह शिफ्ट किया गया। भाजपा ने नूंह सीट पर हिंदू कार्ड खेला है।
वहीं पूर्व परिवहन मंत्री आफताब अहमद कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जाकिर हुसैन की भाजपा से टिकट कटने के बाद भी उन्होंने पार्टी तो नहीं छोड़ी लेकिन उनके बेटे ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा गठबंधन की टिकट पर नूंह से चुनाव लड़ रहे हैं।
बेटे के लिये कर रहे हैं प्रचार
नूंह में जाकिर हुसैन अपने बेटे के प्रचार की कमान भी संभाले हुए हैं। वे अंदरखाने बेटे का पूरा चुनाव मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर भाजपा ने हिंदू कार्ड इसी सोच के साथ खेला है कि इनेलो-बसपा उम्मीदवार ताहिर हुसैन मुस्लिम वोट काटते हैं तो इसका फायदा संजय सिंह को हो सकता है। नूंह विधानसभा क्षेत्र आफताब अहमद की परपंरागत सीट की तरह है। उनके पिता व भूतपूर्व मंत्री खुर्शीद अहमद भी नूंह से विधायक बनते रहे।
नूंह की सीट पर इनेलो-बसपा गठबंधन के ताहिर हुसैन व भाजपा के संजय सिंह त्रिकोणीय मुकाबला बना रहे हैं ताकि इसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सके।
मामन खान भी मैदान में
वहीं फिरोजपुर-झिरका सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक मामन खान इंजीनियर चुनाव लड़ रहे हैं। मामन खान के ऊपर नूंह हिंसा को लेकर पुलिस द्वारा केस भी दर्ज किया हुआ है। वे सलाखों के पीछे भी रह चुके हैं।
भाजपा ने नसीम पर जताया है भरोसा
वहीं भाजपा ने इस सीट पर पूर्व विधायक नसीम अहमद को टिकट दिया है। नसीम अहमद इनेलो टिकट पर विधायक बने थे। बाद में वे इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
2019 का चुनाव भी नसीम अहमद ने भाजपा टिकट पर लड़ा था और वे मामन खान के मुकाबले 37 हजार 4 मतों के अंतर से चुनाव हार गए। इनेलो-बसपा गठबंधन ने फिरोजपुर-झिरका से मोहम्मद हबीब को टिकट दिया है।
वहीं जननायक जनता पार्टी की टिकट पर जान मोहम्मद चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर देखने को मिल रही है।
पुन्हाना से भड़ाना की बहन मैदान में
पुन्हाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मोहम्मद इलियास पर ही भरोसा जताया है। वहीं भाजपा ने पूर्व मंत्री सरदार खान के बेटे एजाज खान को उम्मीदवार बनाया है। 2014 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले रहीस खान फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में भी उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और 34 हजार 276 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। हालांकि पहले वे भाजपा टिकट की कोशिश में थे लेकिन नूंह हिंसा के बाद बदले हुए राजनीतिक हालात में उन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने की बजाय निर्दलीय मैदान में आने का फैसला लिया। पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना की बहन दयावती भड़ाना इनेलो-बसपा टिकट पर पुन्हाना से चुनाव लड़ रही हैं।
यहां हारी, कामां में जीतीं नौक्षम चौधरी
भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनावों में पढ़ी-लिखी नौक्षम चौधरी को पुन्हाना विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा ने इस चुनाव में मुस्लिम और महिला कार्ड खेलते हुए सीट के समीकरण बदलना चाहे लेकिन लोगों ने नौक्षम चौधरी को तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया। हालांकि इसके बाद पिछले साल राजस्थान में में हुए विधानसभा के आमचुनाव में नौक्षम चौधरी को भाजपा ने कामां सीट से चुनाव लड़वाया। पुन्हाना में हारीं नौक्षम चौधरी कामां से विधायक बनने में कामयाब रहीं। चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद इलियास 35 हजार 92 वोट लेकर विधायक बने। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रहीस खान को 34 हजार 276 वोट हासिल हुए। वे मोहम्मद इलियास के मुकाबले महज 816 मतों के अंतर से चुनाव हारे। वहीं नौक्षम चौधरी को 21 हजार 421 ही वोट मिले।